शाहीन बाग में पिछले दो महीने से नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क रोके जाने के औचित्य पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा, ''एक कॉमन एरिया में अनिश्चित समय तक प्रदर्शन नहीं हो सकते। यह विरोध-प्रदर्शन लंबे समय से जारी है। अगर आप प्रदर्शन करना चाहते हैं तो यह एक निर्धारित स्थान पर होना चाहिए। क्या कोई पूरी सड़क को अनिश्चित समय तक के लिए अवरूद्ध कर सकता है?’’
शाहीन बाग में चार महीने के शिशु की मौत पर अदालत ने कहा: 'क्या चार महीने की बच्ची इस तरह के विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा लेने प्रदर्शनवाली जगह पर गई थी? माताओं को इस जांच में सहयोग करना चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट की इन स्पष्ट टिप्पणियों के बावजूद शाहीन बाग में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शनकारी इस धऱना-प्रदर्शन को खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं। ममता बनर्जी और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता उनकी तारीफ कर रहे हैं। साथ ही, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद भी एक वीडियो में दिखे जिसमें एक बच्चा 'अजादी' के नारे लगा रहा था।
सलमान खुर्शीद द्वारा 'अजादी' के नारे लगाने वाले बच्चे को प्रोत्साहित करने और समर्थन करने पर मुझे थोड़ी हैरानी हुई। वे कोई साधारण नेता नहीं हैं। खुर्शीद कांग्रेस के बहुत सीनियर नेता हैं, विदेश मंत्री रह चुके हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील भी हैं और कानून को जानते हैं। भावनाओं में बहकर बच्चे के साथ इस तरह के नारे लगाने लग जाएंगे तो इसका अच्छा मैसेज नहीं जाएगा।
संसद में सरकार यह लिखित जवाब दे चुकी है कि फिलहाल एनआरसी लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। फिर प्रधानमंत्री ने संसद में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून का देश के किसी भी व्यक्ति की नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है। इससे किसी की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है। इससे ज्यादा सरकार और क्या करे। इसलिए शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को अपने अड़ियल रवैये को छोड़ना चाहिए और विरोध प्रदर्शन को बंद करना चाहिए। यह जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा है। (रजत शर्मा)
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