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Rajat Sharma's Blog-अफगानिस्तान: सबकी नजरें अब तालिबान की नई सरकार पर

तालिबान ने अपनी सरकार के गठन को फिलहाल कुछ दिनों के लिए टाल दिया है। हालांकि यह तय हो गया है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान की सरकार का नेतृत्व करेंगे। 

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : September 04, 2021 17:13 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान के लड़ाकों और नॉर्दन अलायंस के रेजिस्टेंस फोर्स के बीच घमासान जंग जारी  है। हालांकि तालिबान ने दावा किया है कि पंजशीर पर उसका कब्जा हो गया है लेकिन रेजिस्टेंस फोर्स के नेताओं ने तालिबान के दावे को खारिज कर दिया है। तालिबान किसी भी कीमत पर पंजशीर घाटी पर कब्जा करना चाहता है और अहमद मसूद के नेतृत्व  वाले नॉर्दन अलायंस की ये कोशिश है कि किसी भी कीमत पर तालिबान को पंजशीर घाटी से दूर रखा जाए।

 
तालिबान ने अपनी सरकार के गठन को कुछ दिनों के लिए फिलहाल टाल दिया है। हालांकि यह तय हो गया है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान की सरकार का नेतृत्व करेंगे। तालिबान के संस्कृति मंत्रालय की ओर से पहले से ही तमाम शहरों में शुक्रवार को सरकार के गठन को लेकर पोस्टर्स और बैनर लगाए गए थे। लेकिन शुक्रवार देर शाम यह ऐलान किया गया कि नई सरकार का गठन फिलहाल टाल दिया गया है।
 
शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने पंजशीर घाटी में तालिबान और नॉर्दर्न अलायंस रेजिस्टेंस फोर्सेज के बीच चल रही भीषण जंग के वीडियो दिखाए। ऐसी खबरें हैं कि इस लड़ाई में तालिबान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पूरी घाटी और आसपास का इलाका गोलियों, रॉकेट लॉन्चर और मोर्टार की आवाज से गूंजता रहा। सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित जगहों की तलाश में पलायन करना पड़ा। अहमद मसूद की अगुवाई वाले रेजिस्टेंस फोर्सेज ने दावा किया है कि उसने 500 से ज्यादा तालिबान लड़ाकों को मार गिराया है। वहीं दूसरी ओर तालिबान ने पूरे इलाके को टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों और मोर्टार से घर रखा है। इसके साथ ही घाटी की सभी सप्लाई लाइनों को काट दिया है।
 
अफगानिस्तान के 34 में से 33 राज्यों पर तालिबान का कब्जा हो गया है। लेकिन पंजशीर घाटी एक अकेला ऐसा इलाका है जहां तालिबान का झंडा नहीं है। यहां नॉर्दन अलायंस रेजिस्टेंट फोर्स के बैनर के तले अपना झंडा बुलंद किए हुए है। रेजिस्टेंस फोर्स के लड़ाके तालिबान को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। ये लड़ाके रॉकेट लांचरों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे तालिबान को भारी नुकसान हुआ है। कई अनवेरीफाइड सोर्सेस की तरफ से कहा गया है कि तालिबान को अब तक का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है और उसके 450 से ज्यादा लड़ाके मारे गए हैं। साथ ही तालिबान के कई  लड़ाकों को पकड़ भी लिया गया है। 
 
तालिबान अमेरिका में बने टैंक, तोपखाने और रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल कर रहा है, जबकि मसूद के लड़ाके बीएम4 सीरीज के रॉकेट लॉन्चर और भारी मशीन गनों के साथ मुकाबला रहे हैं। पंजशीर के पश्चिम में स्थित परवान प्रांत पर कब्जे की लड़ाई चल रही है। परवान प्रांत में 10 जिले हैं जबकि चरीकार इस प्रांत की राजधानी है। 6,000 वर्ग किमी के इस इलाके की आबादी करीब 7.5 लाख है। बहुत सारे लोग वहां चल रही लड़ाई के चलते भाग गए हैं। चरीकार को अगस्त के मध्य में तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया था, लेकिन मसूद लड़ाके चरीकार पहुंच गए और तालिबान का झंडा हटाकर अफगानिस्तान का झंडा लगा दिया। परवान प्रांत में ही बगराम एयरबेस भी है जो एक समय अमेरिकी सेना का मुख्यालय हुआ करता था। यह इलाका काबुल के उत्तर में स्थित है।
 
तालिबान के लड़ाकों का दावा है कि वे अभी तक पंजशीर के 20 प्रतिशत इलाके पर कब्जा कर चुके हैं। वे धीरे-धीरे पंजशीर के शुतुल और परवान जिलों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। वहीं रेजिस्टेंस फोर्सेज का कहना है कि पंजशीर की घेराबंदी करने का दावा गलत है। रेजिस्टेंस फोर्सेज ने दावा किया कि उन्होंने 357 तालिबान लड़ाकों को मार गिराया और 290 को घायल कर दिया है। कुल मिलाकर कहें तो फिलहाल यह लड़ाई शुतुल और परवान के आस-पास केंद्रित है। 
 
तालिबान का दावा है कि उसने शुतुल समेत 12 चौकियों पर कब्जा कर लिया है वहीं अहमद मसूद की अगुवाई वाले नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स के कमांडर्स ने इस दावे को खारिज कर दिया है। उनका कहना है तालिबान अभी तक पंजशीर में दाखिल नहीं हुआ है।
 
नॉर्दन अलायंस रेजिस्टेंस फोर्स के कमांडरों ने तालिबान के बख्तरबंद वाहन को नष्ट करने और तालिबान के टैंक पर कब्जा करने वाले अपने लड़ाकों की तस्वीरें पोस्ट कीं। उन्होंने दावा किया कि जिस वक्त तालिबान के लड़ाके जबाल सिराज पहाड़ियों से होते हुए शुतुल जिले में दाखिल होने कोशिश कर रहे थे तब तालिबान के इस हमले को पूरी तरह से बेअसर कर दिया गया। सैकड़ों तालिबान लड़ाके अपने टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को छोड़कर भाग गए। यह भी कहा जा रहा है कि वहां अब भी 40 से ज्यादा तालिबानी लड़ाकों के शव पड़े हुए हैं। तालिबान ने स्थानीय बुजुर्गों से यह अपील की है कि वे इन शवों को ले जाने की इजाजत दें।
 
इस बीच रेजिस्टेंस फोर्स के लीडर अमरुल्ला सालेह ने युनाइटेड नेशन से दखल देने की अपील की है। उन्होंने आरोप लगाया कि तालिबान बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर घाटी में घुसने की कोशिश कर रहा है। पंजशीर में दाखिल होनेवाले रास्तों पर जगह-जगह माइन्स बिछाई हुई है और तालिबान इन रास्तों पर पहले स्थानीय लोगों को आगे कर रहा है ताकि माइन ब्लास्ट में बेगुनाह लोग मारे जाएं और वह घाटी में दाखिल होने का रास्ता बना सके। सालेह ने यह भी आरोप लगाया कि तालिबान ने मेडिकल टीमों को घाटी में दाखिल होने से रोक दिया है।
 
पंजशीर घाटी चारों ओर से 10,000 फीट ऊंचे पहाड़ों से घिरी हुई है। इसे किसी भी आक्रमणकारी के लिए मौत का जाल माना जाता है। पंजशीर के लड़ाकों को वहां के भोगौलिक स्थिति का फायदा मिलता है। मसूद के लड़ाके तालिबान की हर हरकत पर कड़ी नजर रखे हुए हैं और पहाड़ी की चोटियों की निगरानी कर रहे हैं। पंजशीर घाटी में कुल मिलाकर छोटी-बड़ी 21 सब वैलीज है जिनके जरिए मसूद के लड़ाकों की तालिबान के हर रूट पर नजर रहती है। 
 
तालिबान रेजिस्टेंस फोर्स के नेताओं से बातचीत की पेशकश कर रहा है, क्योंकि पंजशीर घाटी बगराम हवाई अड्डे और काबुल के करीब है। यह इलाका भविष्य में तालिबान सरकार के गले का कांटा हो सकता है। लेकिन अमरुल्ला सालेह और अहमद मसूद ने बातचीत से इनकार कर दिया है। उन्होंने सरकार में ताजिकों के लिए हिस्सेदारी की मांग की है। लेकिन तालिबान के नेता इसके लिए राजी नहीं है। मसूद के लड़ाकों का कहना है कि खून के आखिरी कतरे तक डटे रहेंगे। मार देंगे या मर जाएंगे, लेकिन जंग के मैदान में डटे रहेंगे।
 
इस बीच  तालिबान सरकार के गठन की घोषणा में विभागों को लेकर अंदरूनी कलह के कारण देरी हो रही है। तालिबान का रहबरी शूरा (मार्गदर्शक समूह) शनिवार को विभागों के बारे में फैसला करने जा रहा है। पंजशीर घाटी में तनाव कम होने के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी।
 
अब ये बात तो साफ है कि फिलहाल हथियारों की लड़ाई में पंजशीर के लड़ाके तालिबान के लड़ाकों पर भारी पड़ रहे हैं। तालिबान को जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए अब तालिबान ने दूसरा रास्ता अपनाया है। तालिबान ने पंजशीर घाटी में रसद की सप्लाई के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। खाने के सामान की सप्लाई ठप कर दी गई है। पंजशीर के ज्यादातर इलाकों में पावर सप्लाई और इंटरनेट को बंद कर दिया है। इसके कारण अब वहां के लोगों को दिक्कत हो रही है। अमरुल्ला सालेह ने आरोप लगाया है कि तालिबान पंजशीर घाटी में आम लोगों को भूखा रखने जैसे अमानवीय कदम उठा रहा है। इसके बाद तालिबान ने यह झूठी खबर फैलाई की सालेह भाग गए हैं। लेकिन सालेह ने तुरंत ट्वीट कर कहा कि पंजशीर के शेर डटे हैं और डटे रहेंगे।
 
तालिबान के लिए ये सरकार बनाना जितना मुश्किल है उससे भी ज्यादा मुश्किल होगा इस सरकार को चलाना। आईएमएफ और विश्व बैंक की तरफ से अफगान केंद्रीय बैंक को विदेशी धन नहीं मिल रहा है जिसके चलते अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत बहुत बुरी हो गई है। देश अब सूखे और वित्तीय संकट के कारण भोजन की कमी और भुखमरी से जूझ रहा है। काम चलाने के लिए तालिबान अब चीन से मदद मांग रहा है। चीन को लगता है कि यह दक्षिण एशिया में रणनीतिक रूप से कदम जमाने का अच्छा मौका है। चीन तालिबान की जरुरतों का इस्तेमाल जिनजिंयाग प्रांत में उइगर लोगों की बगावत को दबाने के लिए करना चाहता है। चीन को लगता है कि तालिबान वहां के हालात को कंट्रोल करने में उसकी मदद करेगा।
 
चीन की नजर अफगानिस्तान की विशाल खनिज संपदा पर है। अफगानिस्तान की मिनरल्स वेल्थ बहुत ज्यादा है। अमेरिका भी यहां चीन की गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए हुए है। अमेरिका को आशंका है कि चीन अब तालिबान को आर्थिक मदद देने के बदले बगराम एयरबेस पर भी कब्जा करने की कोशिश में है। ये भारत के लिए खतरा हो सकता है। चीन उन मुल्कों में है जिन्होंने अफगानिस्तान में अपना दूतावास अभी-भी खुला रखा है। चीन ने लगातार तालिबान से बात की है। अगले हफ्ते अगर तालिबान की सरकार बनी तो चीन उसे मान्यता देने वाले मुल्कों में सबसे आगे हो तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 03 सितंबर, 2021 का पूरा एपिसोड

 

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