आजादी के बाद से भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि मुख्य सचिव जैसे पद पर आसीन सीनियर आईएएस अधिकारी को दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों द्वारा पीटा गया हो। मारपीट की यह घटना मुख्यमंत्री निवास में हुई। आरोप है कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में विधायकों ने मुख्य सचिव से मारपीट की। यह शर्मनाक घटना सोमवार की आधीरात उस समय हुई जब आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मुख्य सचिव को मीटिंग के लिए अपने सरकारी आवास पर बुलाया।
मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पुराने और अनुभवी अधिकारी हैं। वे कई जिम्मेदार पदों पर रह चुके हैं। उनके बारे में कभी कोई शिकायत नहीं मिली। मुख्य सचिव ने अपनी लिखित शिकायत में आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी के विधायकों ने उन्हें गालियां दी, धक्का-मुक्की और मारपीट की। मुख्य सचिव की इस शिकायत को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। किसी सीनियर ब्यूरोक्रैट को रात 12 बजे मुख्यमंत्री के आवास पर बुलाना और उनके साथ मारपीट करना लोकतन्त्र में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। केजरीवाल ने ऑन रिकॉर्ड ये बात कही थी कि सत्ता में आने के बाद वे बीजेपी और कांग्रेस को सिखाएंगे कि सरकार कैसे चलाई जाती है। अगर उनका सरकार चलाने का यही तरीका है तो फिर दिल्ली को भगवान बचाए।
इसके विपरीत केजरीवाल से पहले शीला दीक्षित 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। 15 साल में छह साल ऐसे थे जब केन्द्र में बीजेपी की सरकार थी। लेकिन शीला दीक्षित के जमाने में कभी किसी अफसर के साथ नोकझोंक या बदसलूकी की कोई खबर नहीं आई। एक बार तो कैबिनेट की मीटिंग में मुख्य सचिव से किसी मंत्री ने तेज आवाज में बात की तो शीला दीक्षित ने मीटिंग में ही उस मंत्री को डांटा। बाद में उन्होंने उस मंत्री को अलग कमरे में बुलाकर समझाया कि ब्यूरोक्रैट्स के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। मंत्री महोदय कमरे से निकले और तत्कालीन मुख्य सचिव के पास जाकर माफी मांगी। सोमवार की रात जो कुछ भी हुआ वह काफी दुखद है। लोकतंत्र में इस तरह की घटनाओं की कोई जगह नहीं है। (रजत शर्मा)