मदरसा दारुल उलूम निसवा के मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कहा है कि हिंदुओं का मंदिर बद्रीनाथ धाम मुसलमानों का है। मौलवी का दावा है कि इस जगह को पहले बदरुद्दीन शाह या बद्री शाह के नाम से जाना जाता था। उनके मुताबिक सदियों पहले यह मुस्लिमों का धार्मिक स्थल था इसलिए इस जगह को मुस्लिमों को वापस किया जाना चाहिए। मौलाना ने इस संबंध में प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है। लेकिन लगता है उन्हें यह मालूम नहीं कि दारुल उलूम का मतलब क्या होता है। दारुल उलूम का शाब्दिक अर्थ है इल्म का घर, जहां सच का ज्ञान होता है। दारुल उलूम देवबंद मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था है और पूरी दुनिया में लोग इसकी इज्जत करते हैं। लेकिन दारुल उलूम के नाम से कई सारी दुकानें खुल गई हैं। इन दुकानों में लतीफ मियां जैसे दुकानदार बैठे हैं, उनकी वजह से दारूल उलूम की छवि खराब हो रही है। मैं सभी मुस्लिम उलेमा से अपील करता हूं बेहतर होगा कि वे इस तरफ ध्यान दें, क्योंकि इस तरह के बयानों से पूरे मुस्लिम समाज की छवि खराब होती है और सवाल भी उठते हैं। (रजत शर्मा)