जयपुर: पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे गुर्जर समुदाय के लोगों ने आगामी 23 मई से भरतपुर के पीलूकापुरा में आंदोलन करने की घोषणा की है। भरतपुर के अड्डा गांव में आयोजित गुर्जर महापंचायत में गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला की समाज के लोगों साथ चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया। महापड़ाव में गुर्जर प्रतिनिधिमंडल और सरकार के मंत्रिमंडलीय समूह के साथ कल रात हुई बैठक के निर्णय पर चर्चा की गई।
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह ने कहा कि हमारे समाज के लोग सरकार से संतुष्ट नहीं है। बैंसला ने सरकार के साथ हुई बैठक के निर्णय पर समाज के लोगों के साथ उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए चर्चा की और जब समाज के लोग असंतुष्ट दिखाई दिए तो बैंसला ने 23 मई से आंदोलन शुरू करने की घोषणा की। इधर भरतपुर में बैंसला ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अगर समाज को हक नहीं मिला तो मैं पीछे नहीं हटूंगा और आंदोलन होगा। सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी तो गुर्जर समाज आंदोलन करेगा।
अड्डा में महापंचायत के दौरान उन्होंने कहा कि मैं तो गुर्जर समाज के लिये अन्य पिछडा वर्ग में से पांच प्रतिशत आरक्षण का हक मांग रहा हूं। उन्होंने कहा कि मैं सरकार और गुर्जर आरक्षण प्रतिनिधि मंडल के बीच हुई बैठक के निर्णय से संतुष्ट नहीं हूं और मैंने इस पर समाज के लोगों की राय जानी है।
उधर अखिल भारतीय गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि बैंसला इस मुद्दे पर समाज के लोगों को गुमराह कर रहे हैं। हम 51 सदस्यीय कमेटी का गठन कर सरकार पर गुर्जर और अन्य जातियों के लिये पांच प्रतिशत आरक्षण के वादे को पूरा करने के लिये दबाव बनाने के साथ साथ इसे संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करने के लिये दबाव बनाएंगे।
गुर्जर आंदोलन के फिर से शुरू होने की चेतावनी को देखते हुए भरतपुर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। पुलिस कंट्रोल रूम के अनुसार सार्वजनिक सम्पत्ति और रेलवे ट्रैक की सुरक्षा के लिये पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। गुर्जर अन्य पिछडा वर्ग में से पांच प्रतिशत की आरक्षण की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में गुर्जरों को आरक्षरण की निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा के तहत अत्यधिक पिछडा वर्ग में से एक प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है।
पिछले वर्ष गुर्जर और अन्य जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के लिए अक्टूबर में राजस्थान विधानसभा में अन्य पिछडा वर्ग आरक्षण को 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने संबंधी एक विधेयक पास किया गया था। हालांकि उच्च न्यायालय ने बिल पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इससे आरक्षण सीमा बढकर 54 प्रतिशत हो जाएगी। उसके बाद उच्चतम न्यायालय ने भी राज्य सरकार को आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत को पार नहीं करने के निर्देश दिए थे।