जयपुर: राजस्थान बाल अधिकार आयोग की प्रमुख मनन चतुर्वेदी ने गुरुवार को कहा कि बूंदी में अनजाने में पैर से टिटहरी का अंडा टूट जाने पर एक पांच वर्षीय बच्ची को बीते 3 जुलाई से घर से बाहर रहने के मजबूर करने वाले ग्रामीणों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। घटनास्थल हिंदौली गांव का दौरा करने के बाद चतुर्वेदी ने कहा कि छोटी लड़की को एक अस्पृश्य की तरह महसूस करवाया गया और उसे 11 दिन तक घर से बाहर रहने को मजबूर किया गया।
उन्होंने कहा, "लड़की बीते 3 जुलाई से तपती धूप में चारपाई पर बैठी हुई थी और उसे उसके घर में जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। जब वह रोती थी तो, उसकी मां चाहकर भी उसे गले नहीं लगा पाती थी क्योंकि गांव के प्रमुख ने इसके लिए सख्ती से मना किया था।" उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की एक टीम स्थिति की जानकारी मिलने के बाद जब बुधवार को गांव गई, तब उसके बाद बच्ची को उसके घर में जाने दिया गया। उन्होंने कहा, "बच्ची के घर में प्रवेश करने से पहले, उसे शुद्ध होने के लिए गंगा स्नान करने के लिए कहा गया क्योंकि उसने जीव हत्या की थी।"
बच्चों के अधिकार की सुरक्षा के लिए राजस्थान राज्य आयोग की प्रमुख ने कहा, "गुरुवार को मैंने बच्ची को अपनी मां से लिपटे हुए देखा और उसकी खुशी उसके चेहरे से दिख रही थी।"
क्या है पूरा मामला?
बच्ची 2 जुलाई को पहली बार अपने स्कूल गई थी। वह मध्याह्न् भोजन के लिए पंक्ति में खड़ी थी और दुर्घटनावश उसने अनजाने में पैर से टिटहरी के अंडे को कुचल दिया। बच्ची की यह 'गलती' उस पर काफी भारी पड़ी और पंचायत ने समाज से 11 दिन निष्कासित करने का फरमान सुना दिया। पंचायत के सदस्यों ने उसके पिता को पहले स्नैक्स और शराब मुहैया कराने और फिर 1500 रुपये का ऋण चुकाने के लिए कहा।
चतर्वेदी ने कहा, "गरीब आदमी ऋण नहीं चुका पाया, जिसके बाद पंचायत ने उसकी बेटी के सामाजिक बहिष्कार का फैसला सुना दिया। पंचायत ने यह भी फरमान सुनाया कि कोई भी उसके हाथ से पानी नहीं पिएगा और उससे मिलने नहीं जाएगा। लड़की की गर्भवती मां को भी प्रसव के दौरान अलग-थलग रखने के लिए धमकाया गया।" उन्होंने कहा कि बाल कल्याण अधिकारियों को तत्काल पंचायत प्रमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश दिए गए हैं।