रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और विशेष यात्री ट्रेनों के संचालन के बाद अब रेलवे स्टेशनों की दुकानें दोबारा खोल दी गई हैं। रेलवे बोर्ड द्वारा स्टेशनों पर जितने भी कैटरिंग यूनिट, बहुउद्देशीय स्टॉल आदि हैं, इन सभी को तत्काल प्रभाव से खोले जाने का निर्णय लिया गया है। आदेश के अनुसार सभी कैटरिंग एवं वेंडिंग यूनिट तत्काल प्रभाव से खुल गई हैं। इसके साथ ही स्टेशनों पर मौजूद कैटरिंग यूनिट, वेंडिंग स्टॉल, बुकस्टॉल, बहुउद्देशीय स्टॉल, दवा की दुकानें आदि भी तत्काल प्रभाव से खोले जा रहे है ।
रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर फिलिप वर्गीस ने सभी रेल जोन के लिए आदेश जारी करते हुए रेलवे स्टेशनों पर खाने पीने की सभी स्टॉल दोबारा शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इसके अनुसार रेलवे स्टेशनों पर सभी कैटरिंग और वेंडिंग यूनिट तत्काल प्रभाव से खुलेंगे। साथ ही स्टेशनों पर पहले की तरह दुकानें, बुक स्टॉल और केमिस्ट शॉप खुलेंगी। रेस्टोरेंट, फूड प्लाज़ा में बैठकर खाने की सुविधा नहीं होगी, टेक-अवे की सुविधा रहेगी।
आदेश में कहा गया कि इन इकाइयों में पैक किया हुआ सामान, जरूरी सामान, दवाइयां आदि की दुकानें तथा बुक स्टॉल आदि शामिल हैं, जिन्हें देश में कोविड-19 के फैलने के तुरंत बाद बंद कर दिया गया था। आदेश में कहा गया है कि रेलवे जोन स्टेशनों पर खानपान इकाइयां खोलने के लिए बोर्ड से आवश्यक दिशा-निर्देश ले रहे हैं। रेलवे बोर्ड ने आदेश में कहा, ‘‘जोनल रेलवे और आईआरसीटीसी को कहा गया है कि रेलवे स्टेशनों पर सभी ‘स्टेटिक कैटरिंग’ और वेंडिंग इकाइयां तत्काल प्रभाव से खोलने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। वहीं फूड प्लाजा, जलपान वस्तुओं को केवल लेकर जाने (टेक-अवे) की अनुमति होगी , वहां बैठकर खाने की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी।’’
श्रमिक एक्सप्रेस को लेकर बड़ा बदलाव
गृह मंत्रालय की ओर से श्रमिक ट्रेनों को लेकर 1 मई को जारी किया गया सर्कुलर वापिस ले लिया गया है। नए सर्कुलर के मुताबिक़ अब श्रमिक ट्रेनें चलाने के लिए रेलवे को राज्य सरकारों की सहमति की ज़रूरत नहीं होगी। इससे पहले जिस राज्य के लिए श्रमिक ट्रेनें चलानी होती थी वहाँ की राज्य सरकार की सहमति ज़रूरी होती थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों में रेलवे और रेलमंत्री के बार-बार कहने के बावजूद कई राज्यों की तरफ़ से इजाज़त नहीं दी जा रही थी। इसलिए यह कदम उठाया गया है। इससे पहले केंद्रीय रेल एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि देश भर में फंसे हुए प्रवासी कामगारों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने शनिवार तक 1 हजार 34 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। उन्होंने आगे कहा, "उत्तर प्रदेश और बिहार ने सकारात्मक रूप से कदम उठाए हैं और संचालित हुई कुल श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का 80 प्रतिशत संचालन इन्हीं दोनों राज्यों में हुआ है। उन्होंने दावा कि राज्य सरकारों ने जैसे ही कहा कि उन्हें इतनी संख्या में ट्रेनें चाहिए, तीन से पांच घंटे में उन्होंने यात्रियों को उनके राज्य वापस ले जाने के लिए स्टेशन पर ट्रेन उपलब्ध करा दी गई।