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अगले वित्त वर्ष से खत्म होगा 92 साल पुराने 'रेल बजट' का सफर

वित्त मंत्रालय द्वारा रेल बजट को आम बजट में मिलाए जाने के रेल मंत्री सुरेश प्रभु के प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बाद अगले वित्त वर्ष से अलग से रेल बजट प्रस्तुत करने के 92 साल पुराने चलन पर विराम लगने वाला है।

Bhasha
Published on: August 14, 2016 12:55 IST
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नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय द्वारा रेल बजट को आम बजट में मिलाए जाने के रेल मंत्री सुरेश प्रभु के प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बाद अगले वित्त वर्ष से अलग से रेल बजट प्रस्तुत करने के 92 साल पुराने चलन पर विराम लगने वाला है। रेलवे के अनुसार वित्त मंत्रालय ने विलय के तौर तरीकों पर काम करने के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित कर दी है जिसमें मंत्रालय और राष्ट्रीय परिवाहक के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। समिति से 31 अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा गया है।

प्रभु ने कहा, मैंने रेल बजट को आम बजट में मिलाने के लिए वित्त मंत्री अरण जेटली को पत्र लिखा था । यह रेलवे के हित में होगा और राष्ट्र के भी हित में होगा। हम तौर तरीकों पर काम कर रहे हैं।

रेलवे को सब्सिडी पर 32 हजार करोड़ रूपये के वार्षिक खर्च के साथ ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से करीब 40 हजार करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, परियोजनाओं के पूरा होने में विलंब का परिणाम लागत में 1.07 लाख करोड़ रूपये की बढ़ोतरी के रूप में निकला और चालू 442 रेल परियोजनाओं पर आगे काम के लिए 1.86 लाख करोड़ रूपये की जरूरत है। यदि विलय होता है तो भारतीय रेलवे को वार्षिक रूप से लाभांश अदा करने से मुक्ति मिल जाएगी जो उसे हर साल सरकार की ओर से व्यापक बजट सहायता के बदले में देना पड़ता है।

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अलग से रेल बजट के लगभग एक सदी पुराने चलन को खत्म करने का कदम मोदी सरकार के सुधार का एजेंडा है। विलय के साथ यात्री किराया बढ़ाने का फैसला करना वित्त मंत्री का काम होगा।

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