नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे कारगर हथियार वैक्सीन है, लेकिन मौजूदा समय में वैक्सीन राजनीति का हथियार बन चुका है। कई राज्य सरकारें केंद्र से वैक्सीन की मांग कर रही हैं, लेकिन पहले केंद्र के सामने मांग रखी थी कि राज्यों को खुद वैक्सीन खरीदने का अधिकार दिया जाए। लेकिन अब केंद्र पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वैक्सीन के बाजार में राज्यों को लड़ने के लिए छोड़ दिया गया है।
राहुल गांधी सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर वैक्सीन के मामले में राज्यों को अधिकार देने की मांग की थी। राहुल गांधी ने 9 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था और पत्र में 8 सुझाव दिए थे जिनमें एक सुझाव में कहा था कि राज्यों सरकारों को वैक्सीन खरीद और वितरण में ज्यादा अधिकार (Greater Say) दिए जाएं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 8 मई को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री मोदी से मांग की थी कि वैक्सीन निर्माता कंपनियों से राज्यों को सीधे वैक्सीन खरीदने की अनुमति दी जाए तो कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी जा सकेगी और इससे कोरोना की तीसरी लहर के संभावित खतरे को भी कम किया जा सकेगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 12 मई को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर जल्द से जल्द विदेशों से वैक्सीन के आयात की मांग की थी और घरेलू स्तर पर उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी कहा था।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 17 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था और उन्होंने वैक्सीन के कुछ हिस्से को सरकारी कंट्रोल से हटाकर खुले बाजार में उतारने के लिए मांग की थी और कहा था कि ऐसा करने से वे लोग जो वैक्सीन की कीमत चुका सकते हैं अपने लिए वैक्सीन लगवा सकेंगे।