नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछा जाना चाहिए कि सोहराबुद्दीन मामले में जांच का किसने सत्यानाश किया। मंत्री ने कहा, ‘‘आरोपियों को बरी करने के आदेश से ज्यादा प्रासंगिक न्यायाधीश की ये टिप्पणी है कि शुरूआत से ही जांच एजेंसी ने सच का पता लगाने के लिए पेशेवर तरीके से मामले की जांच नहीं की, बल्कि कुछ नेताओं की तरफ इसका रुख मोड़ने की कोशिश की।’’ मामले में फैसला आने पर राहुल गांधी ने कहा था, ‘‘किसी ने भी सोहराबुद्दीन की हत्या नहीं की।’’
जेटली ने कहा, ‘‘ये उचित होता अगर उन्होंने ये सवाल पूछा होता कि किसने सोहराबुद्दीन मामले में जांच का सत्यानाश किया तो उन्हें सही जवाब मिलता।’’ जेटली ने ‘हू किल्ड द सोहराबुद्दीन इन्वेस्टिगेशन’ शीर्षक से अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि जिन लोगों ने हाल में संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई थी, उन्हें गंभीरता से आत्ममंथन करना चाहिए कि जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने CBI के साथ क्या किया।
ने 2013 में उस समय के प्रधानमंत्री को जो पत्र था पढ़ने के लिए क्लिक करें
राज्यसभा में सदन के नेता जेटली ने कहा कि उन्होंने 27 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था जिसमें सोहराबुद्दीन, तुलसी प्रजापति, इशरत जहां, राजिंदर राठौड़ और हरेन पांड्या मामलों में जांच के राजनीतिकरण का ब्योरा दिया था। जेटली ने कहा, ‘‘पत्र में जो कुछ भी मैंने कहा है वो अगले पांच वर्षों में सही साबित हुआ है। हमारी जांच एजेंसियों के साथ कांग्रेस ने क्या किया, उसका ये अकाट्य साक्ष्य है।’’
इस महीने की शुरूआत में विशेष CBI अदालत ने सोहराबुद्दीन मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था। अदालत ने फैसला सुनाते हुए ये भी कहा था कि CBI ने सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उनके सहायक तुलसी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ों में हत्या के मामले की जांच नेताओं को फंसाने के लिए ‘पूर्व कल्पित और पूर्व नियोजित’ तरीके से की।