नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ‘एक देश, एक भाषा’ वाले बयान से खड़े हुए विवाद में अब पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी कूद गए हैं। अमित शाह ने देश में एक भाषा होने को बहुत आवश्यक बताते हुए कहा था कि देश को एकता की डोर में बांधने का काम देश में सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी भाषा ही कर सकती है। इसी के विरोध में राहुल गांधी ने ट्वीट किया है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि “ओडिया, मराठी, कन्नड़, हिंदी, तमिल, इंग्लिश, गुजराती, बंगाली, उर्दू, पंजाबी, कोनकानी, मलयालम, तेलगू, असमिया, बोडो, दोगरी, मैथिली, नैपाली, संस्कृत, कश्मीरी, सिंधी, सांथली, मनपुरी। देश की अनेक भाषाएं इसकी कमजोरी नहीं हैं।”
इससे पहले शनिवार को अमित शाह ने हिंदी में ट्वीट कर कहा, ‘भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी भाषा ही है।”
अमित शाह के इस ट्वीट के बाद से ही भाषा को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी, डीएमके नेता एमके स्टालिन, प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने विरोध जताया था। अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर इसका विरोध किया।