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रघुवंश प्रसाद सिंह की तबीयत बेहद नाजुक, AIIMS में चल रहा है इलाज

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती सिंह ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद को बृहस्पतिवार को लिखे अपने पत्र में राजद को अलविदा कह दिया था।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : September 12, 2020 0:23 IST
Raghuvansh Prasad Singh not well । रघुवंश प्रसाद सिंह की तबीयत बेहद नाजुक, AIIMS में चल रहा है इलाज
Image Source : FILE Raghuvansh Prasad Singh not well । रघुवंश प्रसाद सिंह की तबीयत बेहद नाजुक, AIIMS में चल रहा है इलाज

नई दिल्ली. बिहार के बड़े नेता और हाल ही में राजद से इस्तीफा देने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह की तबियत बेहद नाजुक है। इस समयरघुवंश प्रसाद सिंह का AIIMS अस्पताल में इलाज चल रहा है। रघुवंश प्रसाद सिंह कोविड-19 से उबरने के बाद की समस्याओं को लेकर सिंह एम्स में भर्ती हैं।

राजद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार को लिखा पत्र

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से इस्तीफा देने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिख कर मनरेगा में संशोधन करने सहित अन्य मुद्दों पर और अपने गृह जिले वैशाली के बारे में कुछ सुझाव दिये हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत जनता दल (यूनाइटेड) ने राजद छोड़ने के उनके फैसले का स्वागत किया है। 

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती सिंह ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद को बृहस्पतिवार को लिखे अपने पत्र में राजद को अलविदा कह दिया था। इसके अलावा, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संबोधित करते हुए भी पत्र लिखा है, जिसे सिंह के फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किया गया है। जद(यू) ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि सिंह पार्टी में शामिल होना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।

नीतीश को लिखे पत्र में सिंह ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में संशोधन करने, महात्मा बुद्ध का भिक्षा पात्र काबुल (अफगानिस्तान) से लाने और विश्व के पहले गणराज्य की भूमि वैशाली में (मुख्यमंत्री के) ध्वजारोहण करने सहित कई सुझाव दिये हैं। सिंह ने वैशाली लोकसभा सीट का पांच बार प्रतिनिधित्व किया है। हालांकि, उन्हें 2014 और 2019 के आम चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था।

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रख्यात समाजवादी नेता और लालू के उतार-चढ़ाव भरे राजनीतिक सफर में उनके साथ मजबूती से खड़े रहे सिंह का राजद छोड़ना मुख्य विपक्षी पार्टी के लिये एक बड़ा झटका है। इससे राजपूत जाति में पार्टी के प्रति समर्थन पर भी असर पड़ सकता है। 
रघुवंश प्रसाद सिंह, संप्रग-1 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे थे और मनरेगा योजना के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री से एक अध्यादेश के जरिये इस अधिनियम में एक संशोधन लाने की मांग की, ताकि किसानों को और फायदा मुहैया किया जा सके। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के साथ चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले यथाशीघ्र यह अध्यादेश लाया जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि बुद्ध का भिक्षा पात्र अफगानिस्तान से लाया जाना चाहिए। इसके अलावा मुख्यमंत्री को 26 जनवरी को वैशाली में ध्वजारोहण करना चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पत्र में मुख्यमंत्री से मुजफ्फरपुर और वैशाली जिलों में गंडक नहर पर पुल बनाने का भी अनुरोध किया। कुमार को लिखे सिंह के पत्र पर जद (यू) प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, ‘‘विभिन्न विषयों पर जो पत्र उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखा है, वे बेशक ऐसे मुद्दे हैं जिन पर विचार करने की जरूरत है।’’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘रघुवंश बाबू ने हर मोड़ पर लालू जी का साथ दिया था लेकिन उनके युवराज की अहंकारी प्रवृत्ति से कहीं न कहीं रघुवंश बाबू के मूल्यों के साथ खिलवाड़ हो रहा था, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सिंह के फैसले ने राजद की डूबती नाव में एक बड़ा छेद कर दिया है।’’

उल्लेखनीय है कि सिंह, राजद के जुलाई 1997 में गठन के बाद से उससे जुड़े रहे थे। उनके पार्टी छोड़ने संबंधी पत्र के बाद राजद प्रमुख ने सिंह को रांची जेल परिसर से लिखे अपने भावुक पत्र में उनके इस्तीफे को खारिज करते हुए कहा था, ‘‘आप कहीं नहीं जा रहे हैं।’’

समझा जाता है कि रघुवंश प्रसाद सिंह पूर्व सांसद रामा सिंह को राजद में शामिल किए जाने की चर्चा से कथित तौर पर नाखुश हैं। उन्होंने 23 जून को तब राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था, जब वह कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित होने के कारण पटना एम्स में भर्ती थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में रामा सिंह ने रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के उम्मीदवार के तौर पर रघुवंश प्रसाद सिंह को वैशाली लोकसभा सीट पर हराया था। पार्टी सूत्रों ने बताया कि सिंह, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के कामकाज की शैली से भी खुश नहीं थे।

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