नई दिल्ली: देश के सबसे पुराने एयरबेस अंबाला में भारतीय वायुसेना के लिए 'गेम चेंजर' माना जानेवाला राफेल विमान बुधवार को लैंड करनेवाला है। राफेल विमान लंबे इंतजार के बाद वायुसेना के बेड़े शामिल होनेवाला है। फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में मैरीग्नेक वायुसेना अड्डे से इन विमानों ने सोमवार को उड़ान भरी थी। ये विमान लगभग सात हजार किलोमीटर का सफर तय करके बुधवार को अंबाला वायुसेना अड्डे पर पहुंचेंगे।
अधिकारियों ने कहा कि पांच राफेल विमान सोमवार की शाम को करीब सात घंटों की उड़ान के बाद संयुक्त अरब अमीरात के अल दाफरा हवाईअड्डे पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि फ्रांस से भारत आ रहे इन लड़ाकू विमानों के लिये यही एक स्टॉपेज था। राफेल विमान उस गोल्डन एरोज स्क्वॉड्रन का हिस्सा होगा जिसकी कमान 1999 कारगिल युद्ध के दौरान पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने संभाली थी।
फ्रांस से भारत आ रहे पांच राफेल लड़ाकू विमानों में एक फ्रांसीसी टैंकर ने 30 हजार फुट की ऊंचाई पर बीच हवा में ही ईंधन भरा। फ्रांस में भारतीय दूतावास द्वारा मंगलवार को जारी तस्वीरों में यह जानकारी दी गई। भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया, “भारतीय वायुसेना हमारे राफेल विमानों की घर वापसी की यात्रा में फ्रांसीसी वायुसेना द्वारा उपलब्ध कराए गए सहयोग के लिये उनकी सराहना करती है।”
फ्रांस में भारतीय दूतावास ने विमानों में बीच हवा में ईंधन भरे जाने की कई तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया, “30,000 फीट की ऊंचाई से कुछ तस्वीरें! भारत के लिये निकले राफेल विमानों में सफर के दौरान बीच हवा में ईंधन भरा गया।” एक अधिकारी ने कहा कि इस जत्थे में तीन एक सीट वाले और दो विमान दो सीटों वाले हैं। इन विमानों के बुधवार को अंबाला वायुसेना स्टेशन पहुंचने की उम्मीद है, जब इन्हें औपचारिक रूप से भारतीय वायु सेना में उसके 17वें स्क्वाड्रन के तौर पर शामिल किया जाएगा जिसे ‘गोल्डन ऐरो’ भी कहा जाता है। वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है।
भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है। भारतीय वायुसेना पहले ही वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे अपने अहम हवाई ठिकानों पर अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को तैनात कर चुकी है।
भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये 23 सितंबर 2016 को फ्रांस की विमानन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी डसो एविएशन के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था। वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था। राफेल विमानों की पहली स्क्वाड्रन को अंबाला वायुसैनिक अड्डे पर तैनात किया जाएगा।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राफेल विमानों को लद्दाख सेक्टर में तैनात किये जाने की संभावना है जहां वायुसेना चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी संचालन क्षमताओं को और मजबूत करना चाहती है। यह विमान विभिन्न प्रकार के शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम है। यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीएस की मिटोर, स्कैल्प क्रूज मिसाइल, मीका हथियार प्रणाली राफेल लड़ाकू विमानों के हथियार पैकेज में शामिल है। (इनपुट-भाषा)