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भारत पहुंचे 5 राफेल लड़ाकू विमान, अंबाला एयरबेस पर की लैंडिंग, वाटर कैनन से हुआ भव्य स्वागत

भारतीय वायुसेना के लिए 'गेम चेंजर' माने जाने वाले राफेल के पहले पांच फाइटर जेट ने अब से कुछ देर पहले देश के सबसे पुराने एयरबेस अंबाला पर लैंडिंग की है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 29, 2020 17:43 IST
Rafale Fighter jet landed at Ambala Airbase live updates भारतीय वायुसेना के राफेल फाइटर जेट ने अंबाल- India TV Hindi
Rafale Fighter jet landed at Ambala Airbase live updates भारतीय वायुसेना के राफेल फाइटर जेट ने अंबाला एयरबेस पर की लैंडिंग, वाटर कैनन से हुआ स्वागत

भारतीय वायुसेना के पहले पांच राफेल फाइटर जेट भारत पहुंच गए है। उन्होनें आज देश के सबसे पुराने एयरबेस अंबाला में लैंडिंग की। भारतीय वायुसेना के लिए 'गेम चेंजर' माना जाने वाले राफेल विमान का वायुसेना अध्यक्ष की मौजूदगी में वाटर कैनन के साथ स्वागत किया गया। फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में मैरीग्नेक वायुसेना अड्डे से इन विमानों ने सोमवार को उड़ान भरी थी। ये विमान लगभग सात हजार किलोमीटर का सफर तय करके बुधवार को अंबाला वायुसेना अड्डे पर पहुंचे। 

इससे पहले  फ्रांस से चले 5 राफेल विमान बुधवार दोपहर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अल दफ्रा एयरबेस से भारत रवाना हुए थे। राफेल को उड़ाकर लाने वाले पायलट्स ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह की अगुवाई में ये अब से कुछ देर पहले अंबाला एयरबेस पहुंचे। इस मौके पर वाटर कैनन के साथ एयरफोर्स चीफ ने युद्धक विमानों को रिसीव किया। एयरफोर्स चीफ भदौरिया ने 2016 में 60 हजार करोड़ रुपये के देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में शामिल किया जा रहा है। राफेल विमान उस गोल्डन एरोज स्क्वॉड्रन का हिस्सा होगा जिसकी कमान 1999 कारगिल युद्ध के दौरान पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने संभाली थी।

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फ्रांस से भारत आ रहे पांच राफेल लड़ाकू विमानों में एक फ्रांसीसी टैंकर ने 30 हजार फुट की ऊंचाई पर बीच हवा में ही ईंधन भरा। फ्रांस में भारतीय दूतावास द्वारा मंगलवार को जारी तस्वीरों में यह जानकारी दी गई।  भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया, “भारतीय वायुसेना हमारे राफेल विमानों की घर वापसी की यात्रा में फ्रांसीसी वायुसेना द्वारा उपलब्ध कराए गए सहयोग के लिये उनकी सराहना करती है।” 

फ्रांस में भारतीय दूतावास ने विमानों में बीच हवा में ईंधन भरे जाने की कई तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया, “30,000 फीट की ऊंचाई से कुछ तस्वीरें! भारत के लिये निकले राफेल विमानों में सफर के दौरान बीच हवा में ईंधन भरा गया।” एक अधिकारी ने कहा कि इस जत्थे में तीन एक सीट वाले और दो विमान दो सीटों वाले हैं। इन विमानों के बुधवार को अंबाला वायुसेना स्टेशन पहुंचने की उम्मीद है, जब इन्हें औपचारिक रूप से भारतीय वायु सेना में उसके 17वें स्क्वाड्रन के तौर पर शामिल किया जाएगा जिसे ‘गोल्डन ऐरो’ भी कहा जाता है। वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है। 

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भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है। भारतीय वायुसेना पहले ही वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे अपने अहम हवाई ठिकानों पर अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को तैनात कर चुकी है। 

भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये 23 सितंबर 2016 को फ्रांस की विमानन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी डसो एविएशन के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था। वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था। राफेल विमानों की पहली स्क्वाड्रन को अंबाला वायुसैनिक अड्डे पर तैनात किया जाएगा। 

क्यों अंबाला में ही तैनात किया जा रहा है राफेल? 

आखिर वायुसेना ने क्यों पहले 5 राफेल विमानों को अंबाला एयरबेस में तैनात करने की योजना बनाई है? इस सवाल का जवाब भारत के सामने रक्षा चुनौतियां और उन चुनौतियों से निपटने में अंबाला के महत्व से मिल जाता है। मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर (LoC) तथा लद्दाख में भारत और चीन बॉर्डर पर मुख्य चुनौती है। अंबाला से यह दोनो जगह काफी नजदीक हैं। LaC के उस पार चीन का जो नजदीकी एयरबेस उसकी अंबाला से लगभग 300 किलोमीटर दूरी है जबकि अंबाला के पास पाकिस्तान के नजदीकी एयरबेस की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। जरूरत पड़ने पर राफेल विमान मिनटों में इन दोनो एयरबेस को अपना निशाना बना सकता है। चीन और पाकिस्तान के पास इस समय जो एडवांस लड़ाकू विमान हैं उनके मुकाबले राफेल काफी एडवांस है। पाकिस्तान के पास फिलहाल F-16 विमान सबसे एडवांस है और उसे पिछले साल फरवरी में भारतीय पायलट अभिनंदन ने मिग वायसन से ही गिरा दिया था। चीन के पास सबसे एडवांस J-20 लड़ाकू विमान है, चीन इसे दुनिया का सबसे एडवांस लड़ाकू विमान बताता है। लेकिन चीन के इस विमान के साथ दिक्कत ये है कि इसे दुनियाभर में किसी भी लड़ाई में टेस्ट नहीं किया गया है। जबकि दूसरी ओर राफेल को दुनियाभर में कई लड़ाइयों में आजमाया जा चुका है। 

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