राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जहां भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं मंत्री फ्रंट फुट पर हैं, वहीं कांग्रेस भी इस मामले में फिलहाल नरम पड़ती नहीं दिख रही है। कांग्रेस इस मामले में जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी से जांच की मांग कर रही है। इसके अलावा इस मामले में याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने भी इस मामले में रिव्यू पिटिशन दायर करने के संकेत दिए हैं। आज फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि राफेल विमानों की खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि राफेल विमानों की तकनीकी क्षमता के लेकर कोई सवाल नहीं है।
कांग्रेस और विपक्षी नेताओं के बयान
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला: कांग्रेस ने पहले भी कहा था कि न्यायालय राफेल मामले पर फैसला नहीं कर सकता, सिर्फ जेपीसी जांच में सभी फाइलों और नोटिंग की जांच करके फैसला किया जा सकता है। हम राफेल सौदे की हर परत को खोलने के लिए उसकी जेपीसी जांच कराने की प्रधानमंत्री को चुनौती देते हैं।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे : सुप्रीम कोर्ट ने केवल ये कहा है कि हम इसमें दखल नहीं दे सकते। लेकिन ये नहीं कहा है कि ज्यादा कीमत नही ली गयी। सरकार JPC जांच करवाएं , हम उसमे एविडेंस देंगे।
वहीं इस मामले में एक याचिकाकर्ता एवं वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि हमारे हिसाब से सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पूरी तरह से गलत है। हमारा आंदोलन जारी रहेगा। अभी हम विचार कर रहे हैं कि इस निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जाए कि नहीं।
कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया : अदालत का फैसला पार्टी के लिये झटका नहीं है। उन्होंने कहा कि यह जनता की अदालत में अब भी कायम है और कांग्रेस इसे संसद में उठाना जारी रखेगी।
आप सांसद संजय सिंह: राफ़ेल मामले में शुक्रवार को आए उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले के बावजूद सयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इस मामले की जाँच कराने का विकल्प अभी भी खुला है। अदालत का फ़ैसला लड़ाकू विमान की गुणवत्ता और इसकी ज़रूरत पर आया है। इस पर तो पहले भी कोई विवाद नहीं था।
तृणमूल नेता सौगात राय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जो लगा उसने उसके अनुसार निर्णय लिया है। लेकिन राजनीतिक पार्टियां अभी भी इस मामले में जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की जांच चाहती हैं।