नयी दिल्ली: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अरबों डॉलर के राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर विपक्ष से किसी भी तरह की बातचीत की संभावना से इनकार किया है और कहा है कि भारत की रक्षा तैयारियों से जुड़े बेहद संवेदनशील मुद्दे पर आक्षेप लगाने के बाद विपक्ष बातचीत का हकदार नहीं है। सीतारमण ने कहा कि पाकिस्तान और चीन द्वारा स्टेल्थ लड़ाकू विमान शामिल कर अपनी हवाई शक्ति तेजी से बढ़ाए जाने के मद्देनजर सरकार ने आपातकालीन कदम के तहत राफेल लड़ाकू विमानों की केवल दो स्क्वाड्रन खरीदने का फैसला किया।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, ‘‘क्या उन्हें (विपक्ष) बुलाने और सफाई देने का कोई मतलब है? वे देश को ऐसी चीज पर गुमराह कर रहे हैं जो संप्रग सरकार के दौरान हुई ही नहीं थी। आप आरोप लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि फर्जीवाड़ा हुआ है। आपने वायुसेना की अभियानगत तैयारियों की चिंता नहीं की।’’ रक्षा मंत्री से पूछा गया कि क्या सरकार विपक्षी दलों से उस तरह बात करेगी जिस तरह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में विपक्ष को विश्वास में लिया था और अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु करार को अंतिम रूप देने के वास्ते मार्ग प्रशस्त करने के लिए उनकी आशंकाओं का समाधान किया था।
सीतारमण ने कहा, ‘‘यह (राफेल सौदा) एक अंतर सरकारी समझौता है। आपने (विपक्ष) हमसे सवाल पूछे हैं और मैं उनका जवाब संसद में दे चुकी हूं। तो मुझे उन्हें क्यों बुलाना चाहिए ? मुझे उन्हें बुलाकर क्या बताना चाहिए ?’’ रक्षामंत्री ने यह भी कहा कि राफेल सौदे की तुलना बोफोर्स मुद्दे से बिल्कुल नहीं की जानी चाहिए जैसी कि विपक्ष कोशिश कर रहा है, क्योंकि उन्होंने रक्षा मंत्रालय को बिचौलियों से पूरी तरह मुक्त कर दिया है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल मोदी सरकार पर हमला करते रहे हैं और आरोप लगाते रहे हैं कि वह फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान अत्यधिक ऊंचे दामों पर खरीद रही है।
कांग्रेस ने कहा है कि यूपीए सरकार ने 126 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा करते समय एक लड़ाकू विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये तय की थी, लेकिन वर्तमान सरकार प्रत्येक विमान के लिए 1,670 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है, जबकि विमानों पर हथियार और वैमानिकी विशेषताएं वैसी ही रहेंगी। सीतारमण ने कहा कि संप्रग द्वारा किए गए समझौते की तुलना में राफेल विमान में हथियार प्रणाली, वैमानिकी और अन्य विशिष्टताएं ‘‘अत्यंत उच्च स्तर’’ की होंगी।