देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को कहा कि अमेरिका में स्थित ‘जस्टिस फॉर सिख्स’ जैसे संगठन और पाकिस्तान के लगभग 300 ट्विटर हैंडल किसानों के बीच गुस्सा भड़का रहे हैं। उन्होंने तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लोगों को इस बात को साबित करने की चुनौती दी कि ये कानून किसानों के लिए किस तरह से हानिकारक हैं।
रावत ने कहा कि जो लोग किसान आंदोलन के पीछे हैं, वे देश को तोड़ना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि नए कृषि कानूनों ने पारंपरिक मंडियों के अलावा किसानों को अपनी उपज बेचने की असली आजादी दी है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वालों को नुकसान होगा, अगर उन्हें यह साबित करने की चुनौती दी जाए कि ये कानून किसानों के लिए किस तरह हानिकारक हैं।’’
रावत ने दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के तहत किसानों को 300 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण वितरित करने के बाद कहा, ‘‘अमेरिका में स्थित जस्टिस फॉर सिख्स जैसे संगठनों और पाकिस्तान संचालित लगभग 302 ट्विटर हैंडल के माध्यम से किसानों के बीच गुस्सा इसलिए पैदा किया जा रहा है क्योंकि वे नहीं चाहते कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री काल में भारत में किसान आगे बढ़ें।’’
नरेन्द्र मोदी को कथित रूप से ‘‘खतरनाक देशभक्त’’ बताने पर न्यूयॉर्क टाइम्स की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने पूछा कि देशभक्त होना खतरनाक कैसे हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अगर हम (भाजपा सरकार) के पास हनुमान की शक्तियां होतीं, तो हम यह दिखाने के लिए अपना सीना चीरकर दिखा देते कि उसमें किसानों के लिए क्या है।’’
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी यूनियनों द्वारा आहूत ‘चक्का जाम’ से उत्तराखंड के किसानों के दूर रहने की सराहना करते हुए रावत ने कहा कि वह उन्हें ऐसी ताकतों से दूर रहने के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं, जो अपने हितों के लिए उन्हें ‘‘उकसाना’’ चाहती हैं।
रावत ने कहा कि किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का प्रधानमंत्री को श्रेय दिया जाना चाहिए। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान शुरू की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई), नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि योजना और जन-धन योजना जैसी केन्द्रीय योजनाओं के बारे में रावत ने कहा कि ये सब योजनाएं ग्रामीण आबादी और छोटे तथा सीमांत किसानों को सशक्त बनाने के लिए हैं।
राज्य के 25,000 किसानों को ऋण वितरण कार्यक्रम के माध्यम से लगभग 300 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण वितरित किया गया। प्रत्येक लाभार्थी को तीन लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण और प्रत्येक किसान समूह को पांच लाख रुपये, कृषि और कृषि से संबंधित क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रदान किया जा रहा है जिसमें मत्स्य पालन, वानिकी, औषधीय पौधों की खेती, डेयरी और कुक्कुट पालन गतिविधियां शामिल हैं।