नई दिल्ली: राधे मां को कभी कोई भक्त गोद में उठा लेता है तो कभी वो खुद नाचते झूमते किसी भक्त की गोद में समा जाती हैं। राधे मां के कथित सत्संगों और चौकियों में ये नजारा आम है। इतना ही नहीं...आते-जाते अगर राधे मां को अपनी कार में सवार होना हो तो भी कोई भक्त उन्हें गोद में उठाकर ही ले जाता है। राधे मां के भक्त उन्हें गोद में क्यों उठाते हैं..? क्या राधे मां के दरबार में जानेवाला कोई भी उन्हें गोद में उठा सकता है ? या फिर गोद में उठाने का कोई पैमाना है ? राधे मां पर कानून का फंदा कसता जा रहा है दूसरी तरफ उनको लेकर हैरान करने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं।
विवादों की रानी... राधे मां की कहानी
गोद वाली भक्ति तो जैसे राधे मां के सत्संगों की परंपरा बन गई है। कई बार तो कथित भक्ति के इस माहौल में भक्त और देवी के बीच चुंबन भी होते हैं। आस्था के इस अजीबो गरीब अंदाज के पीछे की कुछ हैरान करने वाली जानकारियां सामने आई हैं। आरोप ये लग रहे हैं कि राधे मां की चौकियों में बाकायदा एक रेटकार्ड चलता है। भक्ति के अलग-अलग मंचों पर हर छूट और हर कृपा की एक खास कीमत तय होती है। राधे मां की चौकियों में कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता।
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राधे मां के दरबार का हर रंग चटख है। हर चीज बेशकीमती है....राधे मां का आसन, लिबास, गहने, मेक अप और इस सज धज के साथ राधे मां जब किसी भक्त की गोद में सवार होती हैं तो आसपास खड़े लोग बलाएं लेते हैं। श्रद्धा से प्रणाम करते हैं।
ये श्रद्धा, ये प्रणाम तो ठीक है लेकिन सवाल ये है कि इस चमक दमक के लिए पैसा कहां से आता है ? क्या राधे मां को गोद में उठाने की कोई कीमत चुकानी होती है ? क्या राधे चौकियों में डांस करने की फीस वसूलती हैं ? क्या राधे मां चौकी वाली जगह पर पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर की मांग करती हैं ? इस पर राधे मां की प्रमुख सेवादार छोटी मां ने कहा, 'आज तक देवी मां ने कभी किसी के लिए हेलीकॉप्टर की डिमांड नहीं की। जिन जिन घरों में चरण डाले हैं देवी मां साधारण ही जाते हैं, नॉर्मल जाते हैं ये उनपर ब्लेम लगाया जा रहा है कि वो हेलीकॉप्टर की डिमांड करती हैं।'
राधे मां की 'गोद माया' की हकीकत क्या है?
राधे मां की प्रमुख सेवादार छोटी मां का दावा अपनी जगह लेकिन कभी राधे मां को करीब से जाननेवाले लोग कुछ और ही कहानी बताते हैं। वो बताते हैं कि सुर्ख कपड़ों से ढंकी राधे मां ने माता की चौकी का रेटकार्ड तय कर रखा है जो भक्त माता की चौकी रखता है उसे अपनी हैसियत के हिसाब से राधे मां की फरमाइशें पूरी करनी पड़ती हैं। मिसाल के तौर पर-
- राधे मां के श्रृंगार के लिए करीब 25 हजार रुपये देने होते हैं
- तोहफे में लाखों के गहने और डिजायनर लहंगा देना पड़ता है
ये फरमाइशें तो तब हैं जब प्रोग्राम लोक हो, यानी मुंबई में ही हो। अगर मुंबई से बाहर माता की चौकी रखी जाए तो राधे मां के आने-जाने के लिए प्राइवेट जेट या फिर एयरपोर्ट से मैदान तक जाने के लिए हेलीकॉप्टर का इंतजाम करना होता है राधे मां के रहने के लिए फाइव स्टार होटल का इंतजाम करना होता है और माता की चौकी के लिए खुले मैदान में आलीशान सेट लगवाना होता है। इतना ही नहीं, चौकी में राधे मां की इंट्री के लिये खास क्रेन का इंतजाम करना पड़ता है।
शर्त ये भी होती है कि क्रेन का शेप कमल का होना चाहिए ताकि लगे कि राधे मां कमल में विराजमान हैं। इनके ऊपर जो चढ़ावा चढ़ाया जाता है वो सब इन्हीं के पैसे होते हैं ताकि देखकर और लोग डोनेशन दें। एक एक आयोजन में चार-चार करोड़ तक डोनेशन आता है।