ऊधमपुर: जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर नवनिर्मित अत्याधुनिक वेंटिलेशन सिस्टम से लैस 9.2 किलोमीटर लंबे चेनानी-नासरी सुरंग अपेक्षानुरूप काम नहीं कर रही और यात्री सुरंग के अंदर अत्यधिक प्रदूषण, आंखों के जलने, दम घुटने की शिकायत कर रहे हैं। चेनानी-नासरी सुरंग को देश में अवसंरचना विकास की दिशा में किसी चमत्कार की तरह देखा जा रहा था।
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सुरंग से होकर नियमित यात्रा करने वाले कुछ यात्रियों ने बताया कि उन्हें भी अत्यधिक प्रदूषण के चलते सुरंग के अंदर ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था, जबकि इसे भारत का ऐसा पहला और दुनिया का छठा सुरंग बताया जा रहा था जिसमें प्रदूषित वायु को बाहर फेंकने और ताजा वायु के प्रवाह को बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक वेंटिलेशन सिस्टम लगाया गया है।
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दिल्ली में चिकित्सक जम्मू वासी बलविंदर सिंह ने बताया कि जब वह सुरंग के अंदर थे तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। ऑस्ट्रेलियाई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर 2,900 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस सुरंग का उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अप्रैल को किया था।
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में चिकित्सक बलविंदर ने बताया, "शायद सुरंग में लगाया गया वेंटिलेशन सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा। व्यस्त यातायात के दौरान जब हम सुरंग में घुसे, तो दृश्यता कम होने लगी। अगर हम वाहन की खिड़की बंद कर सुरंग के अंदर से गुजरते हैं तो प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है।"
उन्होंने कहा, "ऐसा महसूस हो रहा था जैसे हम किसी गैस चेंबर में से होकर गुजर रहे हों।" जम्मू एवं कश्मीर शिक्षा विभाग में कार्यरत अनिल मन्हास के लिए इस सुरंग ने चेनानी से नासरी के बीच की दूरी को 41 किलोमीटर से घटाकर मात्र 11 किलोमीटर कर दी है।
मन्हास का कहना है, "मैं जब पहली बार इस सुरंग से होकर गुजरा तो मैंने खास ध्यान नहीं दिया। मेरी आंखों में जलन हो रही थी। सुरंग में धुआं भरा हुआ था। अब करीब हमेशा ही सुरंग में ऐसे हालात रहते हैं और मेरे खयाल से वेंटिलेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा। अगर ऐसा लंबे समय तक रहा..तो दृश्यता की कमी के कारण वाहनों के बीच टक्कर भी हो सकती है।"
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के प्रवक्ता विष्णु दरबारी से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि चूंकि इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) ने इस सुरंग का निर्माण किया है, इसलिए इन सवालों के जवाब वे ही दे सकते हैं। वहीं जब आईएलएंडएफएस के उपाध्यक्ष आशुतोष चंदवार से बात की गई तो उनका कहना है कि सुरंग के अधिक लंबा और संकरा होने के कारण पैदा होने वाले भय की वजह से यात्रियों को ऐसा लग रहा है।
चंदवार ने कहा, "मुझे नहीं पता कि यात्रियों को ऐसा क्यों लग रहा है..निश्चित तौर पर सुरंग में ऐसा होने की कोई संभावना नहीं है। सुरंग में जब भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो उसमें लगा वेंटिलेशन सिस्टम उसे बाहर फेंक देता है। लोगों को जो भी समस्याएं आ रही हैं, वह लंबे और संकरे सुरंग से गुजरने के दौरान पैदा होने वाले भय के कारण हैं।"
उनका कहना है कि सुरंग में लगे वेंटिलेशन सिस्टम की बाकायदा जांच-परख हुई है और यह हर स्तर के प्रदूषण से लड़ने में सक्षम है। पर्यावरणविद विवेक चट्टोपाध्याय का कहना है कि इतनी लंबी सुरंग में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि तो होनी ही है, लेकिन वेंटिलेशन सिस्टम अगर ठीक से काम करे तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा यात्रियों ने अक्सर सुरंग में जाम लगने की शिकायत भी की। राज्य सरकार में सेवारत जम्मू के रहने वाले भूषण का कहना है, "लगातार हर तरह के वाहनों की आवाजाही के कारण यातायात जाम भी बड़ी समस्या है।"
इससे पहले एनएचएआई कह चुका है कि बीएस-3 से कम श्रेणी के इंजन वाले वाहनों को सुरंग में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी। हालांकि एनएचएआई के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं हो रहा।