नई दिल्ली। नए किसान कानून के विरोध में किसानों ने दिल्ली की घेराबंदी की हुई है और सरकार से मांग कर रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल की खरीद को कानूनी रूप से वैध्य किया जाए। इस आंदोलन की शुरुआत पंजाब के किसानों ने की है लेकिन पंजाब में अगर MSP पर किसानों की उपज खरीद को देखें तो पता चलता है कि सरकार ज्यादातर उपज की खरीद तय किए हुए MSP पर सरकार करती आ रही है और हाल के कुछ वर्षों में पंजाब से खरीद में बढ़ोतरी हुई है। कुछ जगहों पर हरियाणा के किसान भी आंदोलन कर रहे हैं और हरियाणा में भी किसान के पैदा किए हुए अधिकतर गेहूं और धान को सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद ले जाती है। हरियाणा और पंजाब के किसान अपना अघिकतर गेहूं और धान सरकार को समर्थन मूल्य पर बेचते हैं, बावजूद इसके आंदोलन कर रहे हैं और सरकार से MSP को कानूनी रूप से लागू करने की मांग कर रहे हैं।
पंजाब और हरियाणा में प्रमुख तौर पर गेहूं और चावल का उत्पादन होता है और खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में पिछले 5 वर्षों के दौरान चावल तथा गेहूं के उत्पादन और खरीद के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पंजाब में पैदा हुए गैर बासमती चावल का अधिकतर हिस्सा सरकार समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदती आई है और हर साल पंजाब से सरकारी खरीद बढ़ रही है।
उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक 2018-19 के दौरान पंजाब में गैर बासमती चावल उत्पादन 128.22 लाख टन हुआ था और उसमें से सरकार ने 88 प्रतिशत से ज्यादा यानि 113.3 लाख टन खरीद लिया था।
बात अगर गेहूं की करें तो उसकी खरीद भी हर साल बढ़ रही है और अधिकतर गेहूं समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा खरीदी जाती है और सरकारी गोदामों में जमा होती है। फसल वर्ष 2018-19 के दौरान पंजाब में 182.44 लाख टन गेहूं पैदा हुआ था और मार्केटिंग वर्ष 2019-20 के दौरान 129.12 लाख टन सरकार ने खरीद लिया।
बात अगर हरियाणा की करें तो वहां पर भी पंजाब जैसी ही स्थति है, हरियाणा में हर साल चावल की सरकारी खरीद में बढ़ोतरी हो रही है, 2018-19 के दौरान हरियाणा में 45.16 लाख टन गैर बासमती चावल पैदा हुआ और उसमें से 87 प्रतिशत से ज्यादा यानि 39.42 लाख टन सरकार ने खरीद लिया।
हरियाणा में पैदा हुई अधिकतर गेहूं भी सरकारी गोदामों में ही जाती है, फसल वर्ष 2018-19 में हरियाणा में 125.74 लाख टन गेहूं पैदा हुआ और मार्केटिंग वर्ष 2019-20 में उसका 74 प्रतिशत से ज्यादा यानि 93.20 लाख टन सरकार ने खरीद लिया।
देशभर में MSP पर गेहूं और चावल की सरकारी खरीद सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा से ही होती है और यहीं का किसान MSP खरीद को कानूनी करने के लिए सरकार के सामने आंदोलन कर रहा है। देश में जितना चावल पैदा होता है उसका 38 प्रतिशत से ज्यादा सरकार खरीद लेती है और इसी तरह पैदा हुई कुल गेहूं का 33 प्रतिशत से ज्यादा सरकार खरीदती है। देश में हर साल 11 करोड़ टन से ज्यादा चावल और 10 करोड़ टन से ज्यादा गेहूं पैदा होता है और सरकार अगर सारे के सारे गेहूं और चावल को समर्थन मूल्य पर खरीदना शुरू कर दे तो इससे सरकारी खजाने पर बहुत ज्यादा बोझ पड़ेगा और मौजूदा परिस्थितियों में शायद यह संभव न हो।