चंडीगढ़। पंजाब के नए बने प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू और कार्यकारी प्रधानों की ताजपोशी समारोह के तुरंत बाद ही कच्चे अध्यापक पंजाब कांग्रेस भवन की छत पर चढ़ गए और पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। जिनको थोड़ी देर बाद ही चंडीगढ़ पुलिस ने हिरासत में ले लिया। यह टीचर पंजाब सरकार से पक्की नौकरी दिए जाने की मांग कर रहे थे।
सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यभार संभाला
नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष का कार्यभार संभाल लिया। इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी मौजूद थे जिनसे हाल के दिनों में सिद्धू के टकराव की खबरें आ रही थीं। पंजाब कांग्रेस के नए कार्यकारी अध्यक्षों संगत सिंह गिलजियान, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा ने भी यहां पार्टी के मुख्यालय में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों की मौजूदगी में कार्यभार संभाला।
इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब मामलों के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के प्रभारी हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल, वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा और लाल सिंह सहित अन्य लोग भी मौजूद थे। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में कार्यभार संभालने के बाद सिद्धू ने कहा कि पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता और प्रदेश इकाई के प्रमुख में कोई अंतर नहीं है।
अमृतसर (पूर्व) से विधायक सिद्धू ने कहा, ‘‘पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता और राज्य इकाई प्रमुख के बीच कोई अंतर नहीं है। पंजाब का हर कांग्रेस कार्यकर्ता आज से पार्टी की प्रदेश इकाई का प्रमुख बन गया है।’’ उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता पार्टी की जान होते हैं और पार्टी को कार्यकर्ताओं से ही ताकत मिलती है। क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने सुनील जाखड़ का स्थान लिया है। उन्होंने कहा कि उनके मन में छोटों के लिए प्यार और बड़ों के लिए सम्मान है। उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब जीतेगा, पंजाबियों की जीत होगी।’’ प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने से पहले सिद्धू ने यहां पंजाब भवन में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से मुलाकात की। कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी की प्रदेश इकाई का कार्यभार संभालने से पहले मुख्यमंत्री और सिद्धू को एक-दूसरे के बगल में बैठे देखा गया।
कांग्रेस के एक नेता के अनुसार, इससे पहले पंजाब भवन में सिद्धू और सिंह के बीच हुई मुलाकात 'सौहार्दपूर्ण' थी। पंजाब भवन के बाहर पत्रकारों से कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि सिद्धू ने एआईसीसी के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत की उपस्थिति में चाय पर बुलायी गयी बैठक में मुख्यमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि दोनों नेता एक-दूसरे के बगल में बैठे और उनके बीच मुलाकात सौहार्दपूर्ण रही। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी, प्रताप सिंह बाजवा और लाल सिंह भी मौजूद थे। पिछले करीब चार महीनों में पहली बार सिद्धू और सिंह एक-दूसरे से मिले।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान की तस्वीरें ट्वीट कीं। सिंह ने पंजाब भवन में कांग्रेस नेताओं को चाय पर आमंत्रित किया था। सिद्धू पटियाला से आए और सिंह के आने से कुछ देर पहले ही पंजाब भवन पहुंचे। पंजाब भवन में मंत्री, कांग्रेस विधायक और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। पार्टी की प्रदेश इकाई के नवनियुक्त चार कार्यकारी अध्यक्षों में से कुलजीत सिंह नागरा और संगत सिंह गिलजियान ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री को पदभार संभालने के कार्यक्रम के लिए औपचारिक निमंत्रण दिया। निमंत्रण पत्र पर 55 से ज्यादा विधायकों ने हस्ताक्षर किए।
मुख्यमंत्री के साथ अपने मतभेदों को दूर करने का प्रयास करते हुए सिद्धू ने भी एक पत्र लिखकर अमरिंदर सिंह से कार्यक्रम में आने का आग्रह किया और कहा कि उनका ‘‘कोई निजी एजेंडा नहीं है।’’ अमृतसर (पूर्व) के विधायक सिद्धू ने पवित्र ग्रंथ की बेअदबी के मामले के लिए मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था। मुख्यमंत्री ने भी सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध किया था और कहा था कि जब तक सिद्धू उनके खिलाफ अपमानजनक ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगेंगे, वह उनसे नहीं मिलेंगे।
बता दें कि, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को सिद्धू को पार्टी की पंजाब इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। कांग्रेस अध्यक्ष ने अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर सिद्धू की सहायता के लिए संगत सिंह गिलजियान, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। बुधवार को सिद्धू का समर्थन करने वाले कई विधायकों ने कहा था कि उन्हें अमरिंदर सिंह से माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है।