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पुणे के मशहूर स्कूल का अजीबोगरीब फरमान, छात्राओं को पहनने होंगे इस कलर के इनरवियर

एमआईटी स्कूल के अजीब फरमानों के फेहरिस्त यहीं नहीं रुकी। स्कूल ने बच्चों की डायरी में करीब 20 ऐसे नियम बनाए हैं जो किसी भी लिहाज से जायज नहीं हैं। स्कूल की ओर से कहा गया है कि बच्चे तय समय पर ही टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं उसके बाद किसी बच्चे को वॉशरूम जाने की परमिशन नहीं होगी।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 05, 2018 11:12 IST
पुणे के मशहूर स्कूल का अजीबोगरीब फरमान, छात्राओं को पहनने होंगे इस कलर के इनरवियर- India TV Hindi
पुणे के मशहूर स्कूल का अजीबोगरीब फरमान, छात्राओं को पहनने होंगे इस कलर के इनरवियर

नई दिल्ली: ना तो ये स्कूल तालिबानी इलाके में है और ना ही हिंदुस्तान में कबीलाई हुकूमत है लेकिन पुणे के माइर्स एमआईटी स्कूल के तहत आने वाले 'एमआईटी विश्वशांति गुरुकुल' ने छात्रों के लिए जो आदेश दिया है वो जरूर हैरान करने वाला है। स्कूल ने गर्ल स्टूटेंड्स को खास कलर के इनरवियर पहनने का आदेश दिया है। बच्चों की डायरी में स्कूल की ओर से लिखा गया है कि लड़कियां सिर्फ सफेद और स्किन कलर के इनरवियर पहनकर ही स्कूल आ सकती हैं। स्कूल के तालिबानी फरमान के बाद पेरेंट्स ने बुधवार को जमकर हंगामा किया और कहा कि ये बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है।

एमआईटी स्कूल के अजीब फरमानों के फेहरिस्त यहीं नहीं रुकी। स्कूल ने बच्चों की डायरी में करीब 20 ऐसे नियम बनाए हैं जो किसी भी लिहाज से जायज नहीं हैं। स्कूल की ओर से कहा गया है कि बच्चे तय समय पर ही टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं उसके बाद किसी बच्चे को वॉशरूम जाने की परमिशन नहीं होगी। सिर्फ मेडिकल और इमरजेंसी की स्थिति में कोई बच्चा वॉशरूम जा सकता है। अगर सेनेटरी पैड्स को सही तरह से उसके लिए तय डब्बे में नहीं डाला गया तो स्कूल 500 रुपये का जुर्माना लेगा। लड़कियों की स्कर्ट की लंबाई घुटनों तक ही होनी चाहिए और स्कूल के पास रजिस्टर्ड टेलर से ही ड्रेस सिलवानी होगी।

स्कूल ने फरमान जारी कर यह भी कहा कि गर्ल स्टूडेंट्स को मेकअप करने की मनाही है और कोई भी छात्र टैटू नहीं बनवा सकता है। स्कूल के नियमों में छात्राओं की ईयरिंग के साइज तक बताए गए हैं। अगर स्टूडेंट्स स्कूल कैंपस में पीने के पानी और बिजली का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करेंगे तो स्कूल उनसे 500 रुपये का जुर्माना वसूलेगा और लंच ब्रेक में अगर बच्चे खाने-पीने का सामान गिराते हैं तो उनके पेरेंट्स को सफाई के खर्च का बोझ उठाना पड़ेगा। छात्र अगर स्कूल में साइकिल पार्क करते हैं तो एडवांस में 1500 का सालाना चार्ज देना होगा।

स्कूल ने ये नियम सिर्फ नाम के लिए नहीं बनाए हैं उन्होंने बाकायदा एक एडिफेविट फॉर्म दिया है और पेरेंट्स को उसपर दस्तखत करने को कहा है। इस एफिडेविट में कहा गया है कि पेरेंट्स आपस में बात नहीं करेंगे, स्कूल के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं करेंगे। इसके अलावा मैनेजमेंट और मीडिया से भी संपर्क नहीं करेंगे। स्कूल ने कहा है कि अगर एफिडेविट की शर्तों का उल्लंघन हुआ तो फिर पेरेंट्स पर आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज किया जा सकता है।

हालांकि स्कूल मैनेजमेंट का कहना है कि उसकी मंशा गलत नहीं है। स्कूल ने सुरक्षा और स्वच्छता के लिए ये नियम बनाए हैं। स्कूल की सफाई से पेरेंट्स संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने महाराष्ट्र शिक्षा विभाग से पूरे मामले की शिकायत की है जिसके बाद एजुकेशन डायरेक्टर ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है।

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