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पुलवामा आतंकी हमला: सरकार ने उमर फारुक समेत 6 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) काफिले पर हुए हमले के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए रविवार को मीरवाइज उमर फारुक समेत पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : February 17, 2019 15:31 IST
Pulwama attack
Pulwama attack

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में मीरवाइज उमर फारुक समेत छह अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा रविवार को वापस ले ली गई। यह फैसला पुलवामा आतंकवादी हमले के मद्देनजर लिया गया है। अधिकारियों ने यहां बताया कि मीरवाइज के अलावा अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी, फजल हक कुरैशी एवं शबीर शाह को दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई है। हालांकि आदेश में पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी का जिक्र नहीं है। इन नेताओं को दी गई सुरक्षा को किसी श्रेणी में नहीं रखा गया था लेकिन राज्य सरकार ने कुछ आतंकवादी समूहों से उनके जीवन को खतरा होने के अंदेशे को देखते हुए केंद्र के साथ सलाह-मशविरा कर उन्हें खास सुरक्षा दी हुई थी। 

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आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने 1990 में उमर के पिता मीरवाइज फारूक की तथा 2002 में अब्दुल गनी लोन की हत्या कर दी थी । पाकिस्तान समर्थक नेता सैयद अली शाह गिलानी एवं जेकेएलएफ के प्रमुख यासिन मलिक को कोई सुरक्षा नहीं दी गई थी। अधिकारियों ने बताया कि आदेश के मुताबिक अलगाववादियों को दी गई सुरक्षा एवं उपलब्ध कराए गए वाहन रविवार शाम तक वापस ले लिए जाएंगे। किसी भी बहाने से उन्हें या किसी भी अलगाववादी नेता को सुरक्षा या सुरक्षाकर्मी नहीं मुहैया कराए जाएंगे। अगर सरकार ने उन्हें किसी तरह की सुविधा दी है तो वह भी भविष्य में वापस ले ली जाएगी। 

उन्होंने बताया कि पुलिस इस बात की समीक्षा करेगी कि अगर किसी अन्य अलगाववाजी के पास सुरक्षा या अन्य कोई सुविधा है तो उसे तत्काल वापस ले लिया जाएगा। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को श्रीनगर दौरे पर कहा था कि पाकिस्तान एवं उसकी जासूसी एजेंसी आईएसआई से निधि प्राप्त करने वाले लोगों को दी गई सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में हुए कायराना आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते हुए सिंह ने कहा था, “जम्मू-कश्मीर में कुछ ऐसे तत्व हैं जिनके संपर्क आईएसआई एवं आतंकवादी संगठनों से है। उनको दी गई सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी।” 

जम्मू-कश्मीर में बृहस्पतिवार को हुए अब तक के सबसे बड़े आतंकवादी हमले में से एक में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे । पाक स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरे वाहन से बल के एक वाहन को टक्कर मार दी थी। हुर्रियत के प्रवक्ता ने इस शासकीय आदेश को दुष्प्रचार करार दिया और कहा कि इसका कश्मीर विवाद या जमीनी स्थिति से कोई संबंध नहीं है और यह किसी भी तरह से सच को नहीं बदल सकता। प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, “हुर्रियत के आवास पर इन पुलिसकर्मियों के होने या नहीं होने से स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा।” साथ ही उन्होंने कहा कि जब भी कोई मुद्दा बना है मीरवाइज ने जामिया मस्जिद के मंच से घोषणा की है कि सरकार सुरक्षा वापस ले सकती है। मीरवाइज कश्मीर घाटी के धर्मगुरुओं में से एक है। प्रवक्ता ने कहा कि हुर्रियत नेता ने कभी भी सुरक्षा नहीं मांगी है।

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