नई दिल्ली: लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद इस पर विरोध प्रदर्शन भी होने लगे हैं। असम में कुछ संगठनों ने 12 घंटे का बंद का आह्वान किया है। इनमें कुछ छात्र संगठन भी शामिल हैं। बंद को देखते हुए जगह-जगह सुरक्षा व्यवस्था सख्त की गई है। गुवाहाटी में सुबह के समय ज्यादातर दुकाने बंद है। डिब्रूगढ़ में छात्र संगठनों ने सड़क पर टायर जलाकर अपना रोष दिखाया। बता दें कि नॉर्थ-ईस्ट स्टूडेंट यूनियन और ऑल इंडिया स्टूडेंट यूनियन ने आज 12 घंटों का असम बंद बुलाया है।
पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को इस बात का डर है कि नागरिकता बिल के पारित हो जाने से जिन शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी उनसे उनकी पहचान, भाषा और संस्कृति ख़तरे में पड़ जाएगी। सबसे ज्यादा विरोध असम में हो रहा है। असम के डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, धेमाजी, शिवसागर और जोरहाट ज़िले में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने रोड जाम कर दी, रेल यातायात भी ठप कर दिया गया।
पूर्वोत्तर के लोगों की चिंता ये है कि नागरिकता संसोधन बिल की वजह से असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे। इसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है जबकि मौजूदा बिल के तहत उन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी जो 2014 से पहले तक भारत में रह रहे हैं।
पूर्वोत्तर की आशंकाओं को गृहमंत्री ने कम करने की कोशिश की। लोकसभा में उन्होंने कहा कि ट्राइबल इलाक़ों में नागरिकता बिल का कोई असर नहीं होगा। मेघालय, नागालैंड, मिज़ोरम और अरुणाचल जैसे राज्यों में क़ानून लागू ही नहीं होगा। जबकि असम में बोड़ो, कार्बी और डिमासा इलाक़े संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं, लिहाज़ा नागरिकता संसोधन क़ानून लागू ही नहीं होगा।