नयी दिल्ली: दिल्ली सरकार का दावा है कि निजी स्कूलों द्वारा अधिक वसूली गयी फीस वापसी की दिशा में उसकी मुहिम काम कर रही है और कई स्कूलों ने नोटिस मिलने से पहले बढ़ा हुआ शुल्क अभिभावकों को लौटाना शुरू कर दिया है। सरकार की ओर से साफ कर दिया गया है कि वह अब अपने कदम पीछे नहीं खींचेगी और आगे भी निजी स्कूलों की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार आतिशी मार्लेना ने कहा कि 449 निजी स्कूलों को अतिरिक्त वसूली गयी फीस वापस करने के लिए कारण बताओ नोटिस भेजे जा रहे हैं, वहीं उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सरकार के कड़े रुख के बाद अब माहौल बन रहा है और कुछ स्कूल तो नोटिस मिलने से पहले ही अभिभावकों को बढ़ी हुई फीस वापस कर रहे हैं। कुछ स्कूल इस संबंध में शिक्षा विभाग से प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्कूलों से आंकड़े मिलने के बाद ही बताया जा सकता है कि कितने स्कूलों ने कितना पैसा लौटाया और इसमें थोड़ा समय लगेगा। हालांकि खबरों के अनुसार डेढ़ सौ से भी ज्यादा स्कूलों ने फीस लौटाना शुरू कर दिया है और कई निजी स्कूलों ने फोन करके और अखबारों में विग्यापन देकर बच्चों के माता-पिता से संपर्क साधा है।
आतिशी ने साफ किया कि अब बढ़ी हुई फीस वापस नहीं करने वाले स्कूलों को सरकार के अधीन आने के लिए तैयार रहना होगा। सरकार अपने रुख से पीछे हटने वाली नहीं है। शिक्षा सलाहकार ने भाषा से बातचीत में सरकार का रुख साफ करते हुए कहा, अब हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हम अपने इस रुख को लेकर पूरी तरह मजबूत हैं।
उन्होंने आगे भी स्कूलों में अन्य तरह की अनियमितताओं के संदर्भ में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के इसी प्रकार के सख्त रुख को रेखांकित करते हुए कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी नहीं चल सकती। हम उन्हें नियमों का उल्लंघन और नहीं करने देंगे।
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने निजी स्कूलों में छठे वेतन आयोग को लागू करने के नाम पर शुल्क वृद्धि को अनुचित पाया था और बच्चों के मातापिता को नौ प्रतिशत ब्याज की दर से यह राशि लौटाये जाने की सिफारिश की थी। उपराज्यपाल अनिल बैजल की मंजूरी के साथ सरकार ने इस सिफारिश पर अमल शुरू कर दिया।
आतिशी ने कहा कि स्कूलों द्वारा बढ़ा हुआ शुल्क वापस नहीं करने की स्थिति में शिक्षा अधिनियम के तहत हमारे पास दो ही विकल्प हैं। पहला
स्कूलों की मान्यता रद्द करना और दूसरा उनके प्रबंधन को सरकार के अधीन लेकर उन्हें संचालित करना।
उनके मुताबिक पहले विकल्प को अपनाने का मतलब है कि एक तरह से स्कूल बंद हो जाना और इससे बच्चों का ही नुकसान होगा, इसलिए दिल्ली सरकार ने दूसरे विकल्प को चुना। सरकार द्वारा स्कूल को टेकओवर करने की स्थिति में उन्हीं शिक्षकों, कर्मचारियों और उसी शुल्क के साथ स्कूल चलता रहेगा। केवल प्रबंधन सरकार के अधीन आ जाएगा और सरकार ही विा मामले देखेगी। इससे शिक्षकों और बच्चों पर प्रभाव नहीं पडेगा।
बहरहाल पिछले दिनों शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने निजी स्कूलों की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा था कि कई स्कूलों ने अतिरिक्त फीस वापस करना शुरू कर दिया है इसलिए हो सकता है कि सरकार को स्कूल को टेकओवर करने का रास्ता ना भी अख्तियार करना पड़े। वह और मुख्यमंत्री केजरीवाल साफ कर चुके हैं कि स्कूल को टेकओवर करना अंतिम रास्ता होगा।
आतिशी ने बताया कि स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भेजने की प्रक्रिया लंबी है और पिछले कुछ दिन से यह शुरू हो गयी है। स्कूलों को भेजे जा रहे कारण बताओ नोटिस में उनसे कहा जा रहा है कि दो सप्ताह में बढ़ी हुई फीस के सारे पैसे वापस करें, अन्यथा उनका नियंत्रण दिल्ली सरकार अपने हाथ में ले लेगी।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय :डीओई: ने गत 29 मई को निजी स्कूलों को नोटिस जारी कर बढ़ी हुई फीस वापस करने का निर्देश दिया था। लेकिन सरकार के सख्त रुख के बाद अब जाकर स्कूल बढ़ी हुई फीस वापस कर रहे हैं। कुछ स्कूलों द्वारा पिछले दिनों जारी विग्यापनों के अनुसार 2009-2010 और 2010-2011 के बीच वहां पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को बढ़ी हुई फीस वापस लेने के लिए कहा जा रहा है।
आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने यह भी कहा कि हमारी सरकार इतने दृढ़संकल्प के साथ कठोर कार्वाई इसलिए कर पा रही है क्योंकि हम किसी तरह के दबाव में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमसे पहले जिस पार्टी की सरकार रही उसने अपने लोगों को सस्ती दर पर डीडीए की जमीन स्कूल के लिए दे दी और स्कूल प्रबंधन में नेताओं और पूर्व नौकरशाहों के होने से चीजें आगे नहीं बढ़ पाती थीं, लेकिन हमारी सरकार ने शुरू से यह साफ सोच पेश की है कि किसी तरह के दबाव के आगे नहीं झाुकेंगे।
आतिशी ने कहा कि कुछ लोग आम आदमी पार्टी के नेताओं के भी स्कूल होने के आरोप लगाते हैं। अगर ऐसा होगा भी तो हम उन्हें भी नियमों की अवहेलना नहीं करने देंगे।