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अरुण जेटली का दावा, GST लागू होने के बाद अधिकांश वस्तुओं के दाम कम होंगे या उनमें बदलाव नहीं होगा

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात से इनकार किया है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने से मुद्रास्फिति की दर बढ़ेगी जैसा कि अन्य देशों में देखा गया है जहां इसी तरह के टैक्स रिफॉर्म अमल में लाए गए।

IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 01, 2017 23:39 IST
Arun jaitleym Rajat sharma- India TV Hindi
Image Source : PTI Arun jaitleym Rajat sharma

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात से इनकार किया है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने से मुद्रास्फिति की दर बढ़ेगी जैसा कि अन्य देशों में देखा गया है जहां इसी तरह के टैक्स रिफॉर्म अमल में लाए गए। स्पेशल शो ‘जीएसटी दूसरी आजादी’ में इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद अधिकांश वस्तुओं की कीमतें कम होंगी या उनमें कोई बदलाव नहीं होगा। इस शो का प्रसारण आज रात 10 बजे किया जाएगा।

अरुण जेटली ने रजत शर्मा से कहा, ‘मैं नहीं मानता कि जीएसटी के लागू होने के बाद कीमतें बढ़ेंगी क्योंकि हमने पूरे टैक्सेसन का वेटेज औसत नीचे लाया है। कुछ आइट्म्स की कीमतें बढ़ सकती हैं लेकिन अधिकांश आइटम्स की कीमतें कम होंगी या फिर अपरिवर्तित रहेंगी।’

वित्त मंत्री ने उन रिपोर्ट्स को निराधार बताया जिसमें एक बिजनेसमैन को नए टैक्स सिस्टम लागू होनेपर एक साल में 37 रिटर्न भरने की बात कही गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रत्येक बिजनेसमैन को महीने की 10 तारीख को केवल एक रिटर्न दाखिल करना होगा जिसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर बाकी के रिपोर्ट्स ऑटोमैटिकली जनरेट कर लेगा।

जेटली ने कहा, ‘ एक बिजनेसमैन को हर महीने केवल एक रिटर्न दाखिल करना होगा। जैसे अगर हमने X अमाउंट की कोई वस्तु खरीदी तो इस सूचना का मिलान स्पलायर्स/होलसेलर्स के साथ GSTN नंबर से किया जाएगा जो उसके कॉमर्शियल चेन से जुड़ा होगा। साल के अंत में इन सूचनाओं को इकट्ठा किया जाएगा और फाइनल रिटर्न के आधार पर उसका सालाना एसेसेमेंट होगा।’

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग चिंतित हैं क्योंकि पहले वे अपनी बिक्री की रकम छिपा लेते थे लेकिन नई व्यवस्था में यह संभव नहीं है। जो लोग इसमें गड़बड़ करने की कोशिश करेंगे वे आसानी से पकड़ लिए जाएंगे।’ 

जेटली ने इस बात का जिक्र किया कि पहले रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि एक बिजनेसमैन खुद को परेशान महसूस करता था और टैक्स चोरी में लिप्त हो जाता था।

चार भिन्न टैक्स स्लैब की आलोचना करने और जीएसटी के तहत सिंगल टैक्स रेट की वकालत करने वाले लोगों पर बरसते हुए जेटली ने कहा कि इन लोगों ने गरीबी नहीं देखी है और इस वजह से ये लोग अंसवेदनशील होकर ऐसा बयान दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘इन लोगों के पास मूल जानकारी की कमी है। इन लोगों ने गरीबी नहीं देखी है इसी वजह से असंवेदशीलता से ग्रस्त होकर ऐसा बयान दे रहे हैं।’ 

'मैं साधारण तौर पर जीएसटी को सिंगल रेट 15 फीसदी के तहत कर सकता था लेकिन उसका प्रभाव क्या होता? आज अधिकांश खाने-पीने की चीजें 0 फीसदी के टैक्स स्लैब में हैं क्योंकि इसका उपभोग गरीब लोग भी करते हैं। क्या हम गरीबों को यह कह सकते हैं कि हम इन वस्तुओं पर 15 फीसदी का टैक्स लगाएंगे क्योंकि कुछ विद्वान लोग सिंगल टैक्स रेट की सलाह दे रहे हैं। जेटली ने सवालिया लहजे में कहा, ‘क्या हम चप्पल और मर्सिडीज कार पर एक तरह का टैक्स रख सकते हैं?’

वित्त मंत्री ने कहा कि टैक्स अदा करना एक देशभक्ति का काम है क्योंकि भारत को विकसित देश बनाने के लिए सरकार को संसाधनों की आवश्यकता है।

अरुण जेटली ने कहा, ‘सभी ने हमसे शिक्षा और स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च करने के लिए कहा था, लेकिन एक वित्त मंत्री की अपनी सीमाएं होती हैं। हमें देश के लिए संसाधनों की जरूरत है। संसाधन कहां से आएंगे? हम सरकार के खर्चों को पूरा करने के लिए कब तक उधार लेते रहेंगे? हमें सिस्टम को बदलना ही होगा। हम पहले ऐसा बदलाव करने में सक्षम नहीं थे क्योंकि हमारे अंदर ऐसे सुधारों को लागू करने के लिए जरूरी साहस का अभाव था।’

वित्त मंत्री ने यह भी साफ किया कि किसी भी प्रकार के दबाव में आकर दोबारा टैक्सों में बदलाव नहीं किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जनता की भलाई को देखते हुए कुछ जरूरी बदलाव किए गए थे।

उन्होंने कहा, ‘कई लोगों को लगता होगा कि टैक्स न चुकाना उनका मौलिक अधिकार है, लेकिन यह सरकार इस तर्क को स्वीकार नहीं करेगी। दबाव में आकर किसी भी टैक्स पर दोबारा विचार नहीं किया जाएगा। हालांकि, यह भी सच है कि हमसे कुछ गलतियां हुईं और हमने उन्हें सुधार लिया जैसा कि उर्वरकों के मामले में किया गया। विभिन्न राज्यों में उर्वरकों पर 7.5 से 9 प्रतिशत के बीच टैक्स लगता था और हमारे पास इसे 5 प्रतिशत या 12 प्रतिशत के स्लैब में रखने का विकल्प था। हमने अंतत: इसे 12 प्रतिशत के स्लैब में रखा। यद्यपि, वित्त मंत्रियों को लगा कि इससे उर्वरक किसानों के लिए महंगे हो जाएंगे और हमने इसे 5 पर्सेंट के स्लैब के अंतर्गत ला दिया।’

कांग्रेस द्वारा संसद में जीएसटी लॉन्चिंग के बहिष्कार किए जाने के सवाल पर जेटली ने कहा कि एक कंफ्यूज्ड व्यक्ति के कई सवाल होते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि इस बिल को संसद में 2011 में यूपीए सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पेश किया था। जेटली ने कहा कि कांग्रेस के प्रत्येक मुख्यमंत्री और कांग्रेस शासित राज्यों के सारे वित्तमंत्रियों ने जीएसटी का समर्थन किया है।

जब रजत शर्मा ने उन्हें याद दिलाया कि कांग्रेस ने जीएसटी पर नहीं बल्कि इसे आधी रात को संसद में पेश किए जाने पर आपत्ति जताई थी, जेटली ने कहा, ‘मेरे ख्याल से कोई भी पार्टी आधी रात के ऊपर अपना एकाधिकार होने का दावा नहीं पेश कर सकती। यह कहना कि हम तभी आएंगे जब आप इसे दोपहर में लॉन्च करेंगे लेकिन यदि आप शाम को इसे लॉन्च करेंगे तो हम नहीं आएंगे, यह कोई परिपक्व तर्क नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘एक पार्टी, जिसने देश के ऊपर 50 साल से भी ज्यादा समय तक शासन किया है, ऐसे तर्कों के साथ आती है तो देश उसके बारे में बेहतर समझ सकता है।’

उन्होंने ममता बनर्जी के GST को ‘जल्दबाजी में लागू करने’ के आरोप को भी नकारते हुए उन्हें याद दिलाया कि 16 सितंबर 2016 के संविधान संशोधन के बाद, सारे पुराने टैक्स 15 सितंबर 2017 के बाद एक्सपायर कर जाएंगे और सरकारों के पास अपने खर्चे पूरे करने, जिनमें वेतन भुगतान भी शामिल है, के लिए कोई रकम नहीं बचेगी। उन्होंने कहा, ‘यह प्री-मैच्योर नहीं बल्कि बिलेटेड रोल आउट है।’

एक सवाल का जवाब देते हुए कि क्या नीतीश कुमार के GST को समर्थन देने का मतलब यह निकाला जाए कि वह NDA के करीब आ रहे हैं, जेटली ने कहा कि बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों ने GST का समर्थन इसलिए किया है क्योंकि उनके जैसे कंज्यूमर स्टेट्स को इससे फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित कंज्यूमर स्टेट्स ने भी GST का समर्थन किया है।

जेटली ने कहा कि यूपीए शासन के दौरान, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे उत्पादक राज्यों ने GST का विरोध किया था क्योंकि उन्हें रेवेन्यू में नुकसान उठाने का डर था, और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने उनके नुकसान की भरपाई करने से इनकार कर दिया था।

जेटली ने कहा, ‘हमारी सरकार अगले पांच सालों तक उनके नुकसान की भरपाई के लिए सहमत हुई जिसके बाद उन्होंने GST का समर्थन किया।’ जेटली ने हालांकि यह भी कहा कि राजनैतिक जरूरतों ने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को साथ आने के लिए मजबूर किया, जबकि उन दोनों का काम करने का तरीका अलग है। उन्होंने सवाल किया, ‘लालू प्रसाद के बारे में जो अखबारों में आ रहा है इससे पहले ऐसा कुछ नहीं सुना गया था। हमने कभी नहीं सुना था कि किसी को संपत्ति के बदले में मंत्रालय का ऑफर दिया जा रहा हो। ऐसे तरीके से कितने लोग सामंजस्य बिठा पाएंगे?’

LoC के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर के वर्तमान हालात पर बात करते हुए जेटली, जो कि रक्षा मंत्री भी हैं, ने कहा कि पाकिस्तान बॉर्डर ऐक्शन टीम के सदस्यों द्वारा भारतीय सैनिकों के शवों को क्षत-विक्षत करने की घटना बाद भारतीय सेना सीमा पर पूरी ताकत से डटी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि सेना, अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस ने कश्मीर घाटी में आतंकियों से बीस साबित हुई है। उन्होंने कहा, ‘जम्मू और कश्मीर की स्थिति को लेकर देश के लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। राज्य में आतंकियों की हालत खस्ता है।’

चीन द्वारा परोक्ष रूप से भारत को 1962 की गलतियों से सबक लेने के बयान पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि 2017 का भारत 1962 के भारत से अलग है।

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