नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने आज कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में मत देने वाले सांसदों और विधायकों को मतदान केंद्र के भीतर अपनी कलम ले जाने से मना किया गया है और वे विशेष रूप से डिजाइन किये गए मार्कर से मतपत्र पर निशान लगाएंगे।
हरियाणा में पिछले साल आयोजित राज्यसभा चुनावों के दौरान पैदा हुए स्याही विवाद के बाद चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के लिए विशेष कलमों के इस्तेमाल का निर्णय किया है।
चुनाव आयोग ने बैंगनी स्याही युक्त विशेष क्रमांक वाली कलमों की आपूर्ति की है। कल के चुनाव में केवल आयोग द्वारा उपलब्ध कराये गये मतदान सामग्री के इस्तेमाल को सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
आयोग के एक प्रवक्ता ने नये कानून के बारे में बताया, मतदान केंद्र में प्रवेश से पहले चुनावकर्मी मतदाताओं से उनके निजी कलम ले लेंगे और मतपत्र पर निशान लगाने के लिए विशेष कलम दे देंगे। उन्होंने बताया, मतदान केंद्र से बाहर आने पर विशेष कलम वापस ले लिया जाएगा और चुनावकर्मी निजी कलम को वापस दे देंगे।
चुनाव कार्यक्रम का ऐलान करते समय चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी अन्य कलम के इस्तेमाल किये जाने पर मतगणना के समय राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति कानून, 1974 के तहत वोट को अमान्य घोषित कर दिए जाएंगे। मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड से ये विशेष कलम खरीदे गए हैं। यह कंपनी आयोग को अमिट स्याही की आपूर्ति करती है।
चुनाव आयोग ने पहली बार विशेष पोस्टर तैयार किये हैं, जिनमें मतदाताओं को क्या करना है और क्या नहीं करना है-यह अंकित है। इसके जरिये मतदाताओं को आयोग द्वारा जारी कलमों के ही इस्तेमाल का निर्देश दिया गया है। साथ ही आगाह किया गया है कि पार्टी के सदस्यों को किसी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान के लिए किसी तरह का व्हिप या निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है। चूंकि यह गुप्त मतपत्र है, इसलिए मतदाताओं को अपने मतदान की जानकारी सार्वजनिक नहीं करने को कहा गया है।
सांसदों को हरे रंग जबकि विधायकों को गुलाबी रंग के मतपत्र दिये जाएंगे।