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वैश्विक मंदी के बावजूद भारत की विकास दर प्रभावशाली रही: रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा, गरीबों की पीड़ा महसूस करने वाली सरकार की योजनाओं से देश में आर्थिक लोकतंत्र और भी सशक्त हो रहा है...

Reported by: Bhasha
Published : January 29, 2018 15:27 IST
ramnath kovind
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नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि सरकार देश की बैंकिंग व्यवस्था और गरीब के बीच की खाई को पूरी तरह खत्म करने की ओर बढ़ रही है और धीमी वैश्विक आर्थिक विकास दर के बावजूद भारत की विकास दर प्रभावशाली रही है।

राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘गरीबों की पीड़ा महसूस करने वाली सरकार की योजनाओं से देश में आर्थिक लोकतंत्र और भी सशक्त हो रहा है। हम अब देश की बैंकिंग प्रणाली और गरीब के बीच की खाई को पूरी तरह खत्म करने की ओर बढ़ रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि देश के विकास को और अधिक ठोस आधार देने के लिए केंद्र सरकार ने आर्थिक संस्थाओं को मजबूत करने का काम प्राथमिकता के तौर पर किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत करने और उसमें पारदर्शिता लाने के लिए भी प्रतिबद्ध है। इसके लिए 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक के पूंजी निवेश के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का री-कैपिटलाइजेशन करने का निर्णय भी किया गया है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि देश के आर्थिक एकीकरण के लिए, सरकार ने स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा कर-सुधार जीएसटी के रूप में किया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ‘जनधन योजना’ के तहत अब तक लगभग 31 करोड़ गरीबों के बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इस योजना के शुरू होने से पहले, देश में महिलाओं के बचत खातों की संख्या लगभग 28 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 40 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार ने गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए, विशेषकर स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए, बिना बैंक गारंटी कर्ज देने पर जोर दिया है। अब लोग अपना उद्यम चलाने के सपने को साकार करने के लिए आसानी से कर्ज ले पा रहे हैं।’’ ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ के तहत अब तक लगभग 10 करोड़ ऋण स्वीकृत किए गए हैं और 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज दिया गया है।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग तीन करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार इस योजना का लाभ उठाया है और स्वरोजगार शुरू करने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र को मज़बूत करने के सरकार के ये प्रयास हमारे राष्ट्रीय जीवन को भी नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। ये कोशिशें देश में नए तरह के सामाजिक संतुलन की स्थापना कर रही हैं जिसमें हर गरीब को आगे बढ़ने के लिए समान अवसर मिल रहा है।

कोविंद ने कहा कि इसी का परिणाम है कि धीमी वैश्विक आर्थिक विकास दर के बावजूद, भारत की विकास दर प्रभावशाली रही है। अर्थव्यवस्था में, 2016-17 की पहली तिमाही से, जीडीपी विकास में अस्थायी मंदी रही। वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में इस गिरावट में बदलाव आया। पिछले साढ़े तीन वर्षों में मुद्रास्फीति की दर, चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटा औसतन कम हुए हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में विदेशी मुद्रा भंडार 410 बिलियन डॉलर के स्तर से ऊपर चला गया। मेरी सरकार की प्रभावी नीतियों के कारण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी पिछले तीन वर्षों के दौरान 36 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 60 बिलियन अमेरिकी डालर तक पहुंच गया है।

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