करीमनगर (तेलंगाना): राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजग सरकार की अहम स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत की सराहना करते हुए कहा कि इस योजना का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक संसाधनों की कमी की वजह से कोई भी इलाज से वंचित नहीं रहे। कोविंद ने बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के लिए समूचे देश में सार्वजनिक, नगर निगम, परमार्थ अस्पतालों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य देखभाल (वेलनेस) क्लीनिकों को मजबूत करने पर जोर दिया। राष्ट्रपति ने यहां ‘प्रतिमा हॉस्पिटल्स’ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं और हमारी उपलब्धियां भी हैं। आयुष्मान भारत पहल का लक्ष्य यह सुनिश्चित करने का है कि आर्थिक संसाधनों की कमी की वजह से कोई भी स्वास्थ्य देखभाल से वंचित नहीं रहे।
कोविंद दक्षिण भारत के चार दिन के पारंपरिक दक्षिण अल्प प्रवास के तहत शहर में है। उन्होंने कहा कि उन्हें कहते हुए खुशी हो रही है कि योजना के शुरू होने के तीन महीने के अंदर ही छह लाख लोग इसका लाभ ले चुके हैं। उनके इलाज के लिए 800 करोड़ रुपये अधिकृत किए गए है। इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर को की थी। इसे दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य देखभाल योजना बताया गया है जो 10 करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा हर साल मुहैया कराएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि देश में कई ऐसे शहर उभरे हैं, जिन्हें बेहतर इलाज और चिकित्सा गंतव्य के तौर पर प्राथमिकता दी जा रही है।
कोविंद ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में विकास और जीवन यापन के स्तर में सुधार की वजह से भारत में औसत जीवन प्रत्याशा में आजादी के बाद दोगुने से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि भारत ने स्वास्थ्य देखभाल सूचकांक में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है, लेकिन अब भी समग्र स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था को हासिल करने के लिए लंबा रास्ता तय करना है। उन्होंने कहा कि यह ग्रामीण एवं शहरी इलाकों, दोनों ही लोगों के लिए समान रूप से किफायती और सुगम होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश में सिकल सेल एनेमिया (विकारों का समूह जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं विकृत और टूट जाती हैं), थैलेसीमिया और अन्य आनुवांशिक रक्त विकार से पीड़ित लोगों की अधिक संख्या है। ये बीमारियां खासतौर पर आदिवासी समुदाय में व्याप्त है। उन्होंने कहा कि ऐसी बीमारियां परिवारों और मेडिकल पेशेवरों पर भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक बोझ डालती है। स्वास्थ्य देखभाल संचालकों को इन विकारों का निदान करने के लिए सभी कदम उठाने की जरूरत हैं। इस कार्यक्रम को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन, महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर ने भी संबोधित किया।