Friday, November 22, 2024
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प्रदूषण के कारण भारत में लोगों की औसत उम्र में 1.7 साल की कमी हुई: स्वास्थ्य मंत्रालय

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रजेंटेशन में यह भी बताया गया है कि प्रदूषण के कारण भारत में लोगों की औसत उम्र में 1.7 साल की कमी हुई है। इसके साथ ही साथ एक बात यह भी सामने आई कि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 21 शहर हैं ।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 06, 2020 17:33 IST
Pollution reduced the average age of people in India by 1.7 years: Ministry of Health- India TV Hindi
Image Source : FILE Pollution reduced the average age of people in India by 1.7 years: Ministry of Health

नई दिल्ली: शहरी विकास मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया गया कि प्रदूषण के कारण कोरोना बढ़ने का खतरा अधिक है। प्रदूषण के कारण लोगों को खांसी ज्यादा होगी और कोरोना वायरस ज्यादा देर तक हवा में रहकर संक्रमण फैलाने की आशंका बढ़ा दे सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रजेंटेशन में यह भी बताया गया है कि प्रदूषण के कारण भारत में लोगों की औसत उम्र में 1.7 साल की कमी हुई है। इसके साथ ही साथ एक बात यह भी सामने आई कि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 21 शहर हैं। संसदीय समिति को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से ये जानकारी दी गई कि प्रदूषण के कारण और इससे जुड़े बीमारियों के कारण भारत में होनेवाली मौतों में 12.5 फीसदी लोगों की मौत होती है।

केन्द्र सुनिश्चित करे कि दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग नहीं हो: न्यायालय 

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केन्द्र को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा कि दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग नहीं हो। इससे पहले, न्यायालय को सूचित किया गया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग आज से काम शुरू कर देगा। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इसके साथ ही वायु प्रदूषण से संबंधित याचिकाओं को अब दिवाली अवकाश के बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया। 

केन्द्र ने बृहस्पतिवार को दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव एम एम कुट्टी को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग शुक्रवार से काम शुरू कर देगा और सरकार ने आयोग के सदस्यों की भी नियुक्ति कर दी है। 

वायु प्रदूषण के संबंध में हाल ही में जारी अध्यादेश का जिक्र करते हुये मेहता ने कहा कि वह इसे रिकार्ड पर ले आयेंगे। पीठ ने कहा कि वह ऐसा कर सकते हैं लेकिन इस मामले में अब दीवाली अवकाश के बाद सुनवाई होगी। पीठ ने कहा, ‘‘आपको सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि शहर में स्मॉग नहीं हो। हमे आयोग से कोई लेना देना नहीं है। यहां बहुत से आयोग हैं और अनेक लोग इस पर काम कर रहे हैं लेकिन आप सिर्फ यह सुनिश्चित करें कि शहर में कोई स्मॉग नहीं हो।’’ 

मेहता ने कहा कि सरकार युद्ध स्तर पर इस समस्या से निबटने के सभी प्रयास कर रही है। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ने के मामले में याचिका दायर करने वाले आदित्य दुबे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि आयोग का अध्यक्ष एक नौकरशाह है। इसकी बजाय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता था। 

उन्होंने कहा, ‘‘आयोग में स्वास्थ्य मंत्रालय का कोई सदस्य नहीं है।’’ पीठ ने कहा कि आयोग देश में किसी से भी बात कर सकता है। विकास सिंह का कहना था कि अध्यादेश में वायु प्रदूषण के अपराधों का वर्गीकरण नहीं है और एक करोड़ रूपए का जुर्माना तथा पांच साल की कैद कुछ मनामानीपूर्ण लगता है। पीठ ने कहा कि अध्यादेश में सभी आरोप गैर संज्ञेय है तो सिंह ने जवाब दिया कि ये संज्ञेय अपराध हैं। पीठ ने मेहता से कहा कि इसमें अपराधों का वर्गीकरण नहीं है तो मेहता ने कहा कि सरकार इसका जवाब देना चाहेगी। 

पीठ ने कहा, ‘‘हम उन्हें सलाह नहीं देना चाहते। ये सभी जानकार लोग हैं और एनजीओ के सदस्य भी हैं।’’ मेहता ने कहा कि नव सृजित आयोग में गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों के अलावा इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी इसमे हैं और यह आज से ही काम शुरू कर देगा। सिंह ने कहा कि दिल्ली के हालात एकदम सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातस्थिति जैसे हैं और इससे निबटने के लिये कुछ कठोर कदम उठाने होंगे। 

पीठ ने कहा, ‘‘हम कानून की अदालत हैं। यह ऐसी समस्या है जिससे कार्यपालिका को ही निबटना होगा। उनके पास धन, शक्ति और संसाधन है। हम अपनी जिम्मेदारी या कर्तव्यों से नहीं हट रहे हैं लेकिन इसे समझने के लिये हमारी अपनी कुछ सीमाएं हैं।’’ सिंह ने कहा कि दीवाली अवकाश के बाद जब न्यायालय फिर खुलेगा तो तब तक यह (प्रदूषण) खत्म हो चुका होगा। 

पीठ ने कहा कि बहरहाल वह इस मामले में दीवाली अवकाश के बाद विचार करेगी। मेहता ने 29 अक्टूबर को न्यायालय को सूचित किया था कि प्रदूषण पर काबू पाने के लिये सरकार एक अध्यादेश लायी है और उसे लागू कर दिया गया है। हालांकि, पीठ ने इस पर मेहता से कहा था कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण के मामले में कोई निर्देश देने से पहले वह अध्यादेश देखना चाहेगी। 

इससे पहले, न्यायालय ने 26 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक पराली जलाये जाने की रोकथाम के लिये पड़ोसी राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी के वास्ते शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति नियुक्त करने का अपना 16 अक्टूबर का आदेश सोमवार को निलंबित कर दिया था। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का कहना था कि वायु की गुणवत्ता बदतर होती जा रही है और ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) लोकुर समिति को नियुक्त करने संबंधी आदेश पर अमल होने देना चाहिए।

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