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बाहर के बजाए घरों में वायु प्रदूषण 10 से 30 फीसदी अधिक : अध्ययन

दिन के दौरान घरों के अंदर वायु प्रदूषण बाहर से भी बदतर हो सकता है। यह वैक्यूमिंग, खाना पकाने, धूल झाड़ने या कपड़ों का ड्रायर चलाने जैसे कामों के कारण हो सकता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 22, 2018 19:34 IST
Representational image- India TV Hindi
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नई दिल्ली: दिन के दौरान घरों के अंदर वायु प्रदूषण बाहर से भी बदतर हो सकता है। यह वैक्यूमिंग, खाना पकाने, धूल झाड़ने या कपड़ों का ड्रायर चलाने जैसे कामों के कारण हो सकता है। एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। अध्ययन के मुताबिक घरों में प्रदूषण का स्तर बाहरी प्रदूषण की तुलना में 10 से 30 गुना अधिक हो सकता है। घरों के अंदर वायु प्रदूषण के नतीजे स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं, खासकर अस्थमा पीड़ित युवाओं और बुजुर्गों के लिए। शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि प्रत्येक घर में वायु प्रदूषण की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं।

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "वायु प्रदूषण एक अदृश्य हत्यारा है। कुछ घरों में प्रदूषण का स्तर बाहरी प्रदूषण की तुलना में 10 से 30 गुना अधिक हो सकता है। रोजमर्रा के उपभोक्ता उत्पादों और घरेलू चीजों जैसे पेंट, पालतू जानवरों से एलर्जी और कुकिंग गैस आदि वायु प्रदूषण का अतिरिक्त स्रोत हो सकते हंै। यह मानव शरीर के अधिकांश अंगों और प्रणालियों को प्रभावित कर सकते हैं।" 

उन्होंने कहा, "पर्यावरण में मौजूद कणों का सीधा वास्ता फेफड़ों से पड़ता है, जिसके कारण सीओपीडी, अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर जैसे कई श्वसन रोग हो सकते हैं। धूल के कण जैसे प्रदूषक फेफड़ों की सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सेल साइकल डेथ को प्रभावित कर सकते हैं। प्रदूषण की वजह से अस्थमा और सीओपीडी वाले लोगों में परेशानी हो सकती है।"

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "इनडोर वायु प्रदूषण की समस्या को हल करना इतना आसान भी नहीं है। आदर्श समाधान तो यह है कि सभी खिड़कियों को खोला जाए और इनडोर प्रदूषकों को बाहर निकलने दिया जाए। लेकिन, प्रदूषित शहरों में यह मुश्किल है क्योंकि बाहरी प्रदूषक घर के अंदर आ सकते हैं।" 

डॉ. अग्रवाल ने कुछ सुझाव देते हुए कहा, "घर व कार्यालय में नमी को नियंत्रित करें, बाथरूम और रसोई में एगजॉस्ट फैन लगाएं, घरेलू उपकरणों को ठीक से साफ करें और धूल से बचाकर रखें, कालीन को साफ और सूखा रखें, तकिए, कंबल और बिस्तर को नियमित रूप से 60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर धोया करें, टेक्सटाइल कारपेटिंग की जगह लकड़ी, टाइल या लिनोलियम का फर्श लगाएं, वैक्यूम क्लीनिंग और गीले पोछे से सफाई करना अच्छा तरीका है। 

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