नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंडिया टीवी से खास बातचीत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ आपसी बीतचीत से मुद्दे का हल चाहती है। लेकिन जानबुझकर रोज नई शर्तो को रखना और केवल एक ही बात को लेकर बार-बार उसे दोहराना समस्या के समाधान के लिए अच्छा संकेत नही है। उन्होनें कहा कि किसानों की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही है। जो खेती के बार में नही जानते वो बयान दे रहे है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले 6 वर्षों के दौरान किसानों के हित के लिए जीतने कार्यक्रम हुए है और जिस प्रभावी ढ़ंग से योजनाओं को लागू किया गया है भाजपा शासित राज्यों में ऐसे कभी नही हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान का हित हमारे लिए सर्वोपरी है। ये हमारे लिए अन्नदाता है इसी को ध्यान में रखकर किसानों के लिए तीन कृषि बिल को लाकर उनको आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। सरकार बार-बार कह रही है एमएसपी समाप्त नही होगी। मंडियां बंद नही होगी, किसानों के खेत को गिरवी नहीं रखा जा सकता है। तो फिर किसानों के हित में उठाए गए कदमों का स्वागत होना चाहिए। इसके अलावा सरकार यह भी बोल रही है कि बताइए इनमें कौनसी ऐसी चीज है जो किसानों के हित में नही है। लेकिन सिर्फ यह कहना की बिल वापस हो यह सही नही है।
योगी ने कहा कि आज किसानों को लागत का ढे़ड गुणा एमएसपी के माध्यम से जो किसानों को मिल रहा है वो भी प्रधानमंत्री मोदी की देन है। देश के अंदर साल 2018 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गई थी और उस समय नवंबर से इसका पैसा आना प्रारभ हो गया था। तब से अबतक देश के किसानों के खाते में 1 लाख 18 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि दी जा चुकी है।
योगी आदित्यनाथ ने केजरीवाल के कृषि कानून पर दिए गए बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि गमलों में धान उगाने वाले लोग हमें क्या खेती सिखाएंगे। उन्होंने नाम लिए बिना कहा कि खुद दिल्ली के सीएम को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने अपनी ही सरकार द्वारा नोटिफाई किए गए ऐक्ट को फाड़ दिया। योगी ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने में भी दिल्ली सरकार अक्षम साबित हुई।‘गमलों में धान उगाने वाले लोग हमें खेती के बारे में बताएंगे?’
केजरीवाल के बयान पर कि किसानों के साथ संवाद में योगी नए कृषि कानूनों के लाभ के बारे में नहीं बता पाए, योगी ने पलटवार करते हुए कहा, ‘खेती-किसानी के बारे में हमें वे लोग बताएंगे जो गमलों में धान उगाते हैं? यह हास्यास्द बात है। इन लोगों को इस बात पर शर्म आनी चाहिए कि दिल्ली विधानसभा ने एपीएमसी ऐक्ट को लागू किया। और यदि वे खुद के ही द्वारा पास किए गए ऐक्ट को फाड़ रहे हैं तो न सिर्फ वह संसद की अवमानना कर रहे हैं, बल्कि अपनी विधानसभा की भी अवमानना कर रहे हैं। ये वही लोग हैं जिनकी नेगेटिव सोच ने दिल्ली को तबाह कर दिया। कोरोना के वक्त में देखिए कैसे इनका मॉडल तबाह हो गया। इनका चेहरा देश और दुनिया के सामने एक्सपोज हो गया है।’
‘दिल्ली में कोरोना मैनेजमेंट के लिए गृह मंत्री को उतरना पड़ा’
कोरोना के मामले में दिल्ली सरकार पर बरसते हुए योगी ने कहा, ‘ये एक छोटी-सी दिल्ली को नहीं संभाल पाए। दिल्ली में हालात भी तब संभले जब खुद गृह मंत्री अमित शाह फील्ड में उतरे। इसके चलते वह खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गए। यह प्राथमिक जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की थी, लेकिन गृह मंत्री को कोरोना मैनेजमेंट के लिए उतरना पड़ा। वे यूपी से क्या बात करेंगे। यूपी के अंदर 24 करोड़ की आबादी है, जिनमें 5 लाख कोरोना पॉजिटिव हुए और 8 हजार लोगों की मौत हुई है। देश में सबसे ज्यादा टेस्ट यूपी ने किए हैं। वहीं, पौने दो करोड़ की आबादी वाली दिल्ली में 10 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं और 6 लाख से ज्यादा पॉजिटिव केस हैं।’
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