नई दिल्ली: डॉ. बिस्वरुप रॉय चौधरी, मेडिकल न्यूट्रिशनिस्ट और पी.एच.डी. (डायबिटीज) ने सोमवार को “पोलियो ड्रॉप्स से ड्रग्स इंसुलिन” नामक एक कार्यक्रम में मेडिकल संबंधित कई मुद्दों पर जागरुकता फैलाई। उन्होंने बताया कि कितनी बार एक दवा वास्तव में एक इलाज प्रदान करने के बजाय एक बीमारी पैदा करती है। यह बहुत ही आश्चर्यजनक बात है, उनके रिसर्च ने ही इन बातों का खुलासा किया। भारत में पोलियो को जड़ से मिटा दिया गया है। पोलियो ड्रॉप्स अभियान के बड़े दावों के बावजूद इसके लिए जिम्मेदार है।
डॉ. बिस्वरुप रॉय चौधरी का कहना है कि “औसतन हर साल के सरकारी आंकड़ों को देखा जाए तो हमारे देश में 50,000 से अधिक बच्चे पोलियो के टीके के कारण पैरालिसिस की चपेट में आ चुके हैं। जब आप पोलियो वैक्सीन की उन दो बूंदों को देते हैं, तो आपको क्या लगता है कि वास्तव में उन दो बूंदों में क्या है? उन दो बूंदों में एक पोलियो वायरस होता है, जो पोलियो को जन्म दे सकता है। अंतर केवल इतना है कि यह विशेष वायरस कम मात्रा में मौजूद है, लेकिन यह जीवित है। इसलिए, वो बच्चे जिन्हें पोलियो प्रभावित कहने, के बजाय अब उनके द्वारा तैयार किए गए नए नामों से बुलाया जाता है - एनपीएएफपी- नॉन पोलियो एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस- बहुत जटिल नाम है। इसके अलावा, इन दिनों, ब्रेसिज़ को रेकमेंड नहीं किया जाता।”
डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी (मधुमेह में पीएचडी) अपने आने वाले कार्य ‘72 घंटे में मधुमेह से छुटकारा’ के लिए जाने जाते हैं। अपने कार्यों के साथ, डॉ. चौधरी ने न केवल चिकित्सा जगत को साबित किया बल्कि जो रोगी तीन लंबे दशकों से मधुमेह से पीड़ित हैं, वे तीन दिनों में मधुमेह से छुटकारा पा सकते हैं, और यह मिथ कि "मीठे फल मधुमेह के रोगियों के लिए हानिकारक हैं" इससे भी पर्दा उठा सकते है। वास्तव में, वह इस बात की वकालत करते हैं कि बड़ी मात्रा में मीठे फलों का सेवन करने से आप मधुमेह का इलाज कर सकते हैं। यदि आप 250ml/dl (बिना दवाओं के) से कम शुगर लेवल को बनाए रखते हैं, तो आप मधुमेह के रोगी नहीं हैं।