श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में प्रशासन ने एक आदेश में पुलिस से कहा है कि वह घाटी में मस्जिदों का विवरण उसे तत्काल मुहैया कराए। केंद्र ने हाल में राज्य में अतिरिक्त सुरक्षाबल भी भेजे हैं जिससे राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35ए के भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी हैं।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में 10,000 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती सुरक्षा कवायद का हिस्सा है और आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और पीडीपी इसे लेकर “होहल्ला मचा रही हैं।’’
घाटी में अनिश्चितता के बीच राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी अनुच्छेद 35ए के मुद्दे पर केंद्र से चीजों को स्पष्ट करने की मांग की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का वक्त मांगा है। महबूबा ने भी केंद्र द्वारा राज्य के निवासियों को विशेष अधिकार और सुविधाएं देने वाले कुछ संवैधानिक प्रावधानों को रद्द करने की कोशिशों को नाकाम करने के लिये एक संयुक्त मोर्चा बनाने का आह्वान किया है।
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जम्मू कश्मीर में राजनीतिक माहौल और वहां संभवत: इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को प्रदेश इकाई के कोर समूह के साथ बैठक करेगा।
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, भाजपा महासचिव राम माधव, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता इस बैठक में शामिल होंगे। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा के बैठक की अध्यक्षता करने की संभावना है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महासचिव (संगठन) बी एल संतोष सहित कुछ वरिष्ठ नेता भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे।
प्रदेश भाजपा के एक नेता ने कहा कि गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक कर सकते हैं। राज्य प्रशासन की तरफ से रविवार रात एक आदेश जारी कर श्रीनगर के पांच जोनल पुलिस अधीक्षकों से शहर में स्थित मस्जिदों और उनकी प्रबंध समितियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा है, जबकि एक अन्य आदेश में पुलिस अधिकारियों से टैक्सियों की यात्री क्षमता और पेट्रोल पंपों की ईंधन क्षमता की सूचना जुटाने को कहा गया है।
श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा जोनल पुलिस अधीक्षकों को जारी किये गए आदेश के मुताबिक, “कृपया दिये गए प्रारूप में अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली मस्जिदों और प्रबंध समितियों के बारे में विवरण इस कार्यालय को तत्काल उपलब्ध कराएं जिससे उसे उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया जा सके।”
इसके अलावा अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि वे मस्जिद समिति के वैचारिक रुझान के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराएं। इन आदेशों को गोपनीय रखा जाना था लेकिन ये सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं। कुछ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अब तक ये आदेश नहीं मिले हैं। आदेशों को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
पिछले हफ्ते केंद्र ने केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) की 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला लिया था। इन 100 कंपनियों (10,000 जवान) में 80 कंपनियां घाटी में तैनात की जाएंगी। फारुक अब्दुल्ला ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया, “मौजूदा हालत पर चर्चा और आगे की राह के लिये आम सहमति बनाने के उद्देश्य से हमें गुरुवार को यहां सर्वदलीय बैठक करने की उम्मीद है।”
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का वक्त मांगा है लेकिन उनके दफ्तर से अभी जवाब नहीं आया है। अब्दुल्ला ने कहा, “हमने प्रधानमंत्री से मुलाकात का अनुरोध किया है और जम्मू कश्मीर में संवेदनशील हालात के मद्देनजर मुझे जल्द ही उनके कार्यालय से जवाब आने की उम्मीद है।”
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘हालिया घटनाक्रम के मद्देनजर जम्मू कश्मीर में लोगों के बीच दहशत फैल गयी है। मैंने डॉ.फारूक अब्दुल्ला साहब से सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। एक साथ होकर काम करने और एकजुट जवाब देने की जरूरत है । हम कश्मीरियों को साथ मिलकर खड़े होने की जरूरत है।’’
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने हालांकि इस पर यह कहते हुए जवाब दिया कि पार्टी राज्य के लिये केंद्र सरकार की मंशा को समझने की कोशिश कर रही है। उन्होंने ट्वीट किया, “जम्मू कश्मीर में दूसरे दलों के वरिष्ठ नेताओं से कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा से पहले केंद्र सरकार से राज्य को लेकर उसकी मंशा को समझने की आवश्यकता है और यह भी कि वह मौजूदा हालात को कैसे देखते हैं। जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस अभी इस पर ध्यान केंद्रित कर रही है।”