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‘जहरीले' दूध से 130 करोड़ लोगों की सेहत को खतरा, भाजपा सदस्य का दावा

विभिन्न रसायनों से बने ‘जहरीले’ दूध के सेवन से देश के करीब 130 करोड़ लोगों की सेहत को खतरा होने का दावा करते हुए राज्यसभा में भाजपा के एक सदस्य ने बुधवार को मांग की कि इस तरह से अनुचित आर्थिक लाभ उठाने वाले लोगों को उम्र कैद की सजा और मृत्युदंड तक दिया जाना चाहिए।

Reported by: Bhasha
Published on: November 27, 2019 18:06 IST
Representational pic- India TV Hindi
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नई दिल्ली: विभिन्न रसायनों से बने ‘जहरीले’ दूध के सेवन से देश के करीब 130 करोड़ लोगों की सेहत को खतरा होने का दावा करते हुए राज्यसभा में भाजपा के एक सदस्य ने बुधवार को मांग की कि इस तरह से अनुचित आर्थिक लाभ उठाने वाले लोगों को उम्र कैद की सजा और मृत्युदंड तक दिया जाना चाहिए।

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश में दूध के उत्पादन की तुलना में इसकी खपत अधिक है। इस अधिक मांग को, अनुचित आर्थिक लाभ उठाने वाले लोग मिलावटी दूध के जरिए पूरी करते हैं। यादव ने कहा कि नकली दूध के सेवन से देश के करीब 130 करोड़ लोगों की सेहत को खतरा है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन नकली दूध के सेवन से कैंसर होने के खतरे को लेकर आगाह कर चुका है।

उन्होंने कहा कि नकली दूध विभिन्न रसायनों की मदद से तैयार किया जाता है जिससे कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है। यादव ने कहा ‘‘यहां तक कि कुछ ब्रांडेड कंपनियां भी इसमें लिप्त हैं। कुछ समय पूर्व भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने जांच के लिए ब्रांडेड कंपनियों के दूध के नमूने लिए थे जिनमें से 37 फीसदी नमूने तय मानकों के विपरीत पाए गए।’’

उन्होंने कहा कि इस तरह की मिलावट के जरिये मानव जीवन के साथ खिलवाड़ करने और अनुचित तरीके से आर्थिक लाभ उठाने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि ऐसे लोगों को उम्र कैद की सजा और यहां तक कि मृत्युदंड तक दिया जाना चाहिए। विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।

कांग्रेस के रिपुन बोरा ने शून्यकाल में असम के चाय बगान कर्मियों को कम दिहाड़ी मिलने का मुद्दा उठाया और मांग की इन कर्मियों को न्यूनतम दिहाड़ी 351 रुपये दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि चाय बगानों में करीब 40 लाख कर्मी काम कर रहे हैं। बोरा ने कहा कि फिलहाल चाय बगान कर्मियों को केवल 160 रुपये की दिहाड़ी दी जाती है जो उनकी जरूरतें पूरी करने के लिहाज से नहीं के बराबर है। उन्होंने कहा कि असम की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इन चाय बगान कर्मियों को 351 रुपये दिहाड़ी दिए जाने की सिफारिश की थी। लेकिन तीन साल पहले भाजपा सरकार सत्ता में आई और चाय बगान कर्मियों की दिहाड़ी बढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं किया गया। बोरा ने सुझाव दिया कि अगर राज्य सरकार आर्थिक समस्या के चलते चाय बगान कर्मियों की दिहाड़ी बढ़ाने में असमर्थ है तो केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इन कर्मियों के लिए विशेष पैकेज दे।

भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने केंद्र सरकार के प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत का विस्तार निजी अस्पतालों तक किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसके तहत हर तरह की बीमारी भी कवर की जानी चाहिए। बीजद से सस्मित पात्रा ने ओडिशा के कटक में होने वाले बाली जात्रा उत्सव का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह उत्सव प्राचीन संस्कृति से जुड़ा है। उन्होंने इस उत्सव को राष्ट्रीय नौवहन विरासत उत्सव का दर्जा दिए जाने की मांग की। शून्यकाल में ही टीआरएस के बी लिंगैया यादव, अन्नाद्रमुक के आर वैद्यलिंगम, भाजपा के डॉ किरोड़ीलाल मीणा, तृणमूल कांग्रेस के अबीर रंजन बिस्वास, मनोनीत शंभाजी छत्रपति और निर्दलीय रीताव्रता बनर्जी ने भी लोक महत्व से जुड़े अलग अलग मुद्दे उठाए।

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