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PNB घोटाला: इन 5 बड़ी गलतियों के चलते हुआ इतना बड़ा स्कैम!

PNB घोटाला कई गलतियों का परिणाम हो सकता है, जिनमें से 5 बड़ी संभावित गलतियों के बारे में हम आपको बता रहे हैं...

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 21, 2018 16:14 IST
Representational Image | PTI Photo- India TV Hindi
Representational Image | PTI Photo

नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक के कथित घोटाले ने पूरे देश की बैंकिंग व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। इसके साथ ही इस घोटाले की वजह से सियासी पारा भी आसमान छू रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घोटाले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। वहीं, आम जनता को यह समझ में नहीं आ रहा है कि जो बैंक छोटे से छोटा लोन पास करने में इतनी सावधानी बरतते हैं, उनसे कोई हजारों करोड़ की धोखाधड़ी कैसे कर सकता है। PNB घोटाला कई गलतियों का परिणाम हो सकता है, जिनमें से 5 बड़ी संभावित गलतियों के बारे में हम आपको बता रहे हैं। चलिए, जानते हैं क्या हैं वे 5 बड़ी गलतियां:

 
1: बैंक की कमजोर कार्य प्रणाली
पहली चूक इस बैंक में कमज़ोर संचालन व्यवस्था का है। कार्य का बंटवारा और उससे जुड़े दायित्व का सुचारू न होना, उचित निरीक्षण की कमी व सतर्कता विभाग की घोर लापरवाही या संभावित मिलीभगत, ये सब कारण हो सकते है। बैंकों में लेनदेन ‘मेकर एंड चेकर्स' व्यवस्था पर होता है यानी कि लेनदेन का ब्यौरा एक अधिकारी बनाएगा तो दूसरा उसे जांचेगा और तीसरा उसे अनुमोदित करेगा। इसके बाद भी सतर्कता विभाग का एक अधिकारी इनकी कार्यविधि पर नज़र रखता हैं। बैंक का इंटरनल ऑडिट नियमित रूप से रक्षक की भूमिका अदा करता है। बैंक द्वारा किया गया हर लेनदेन 'CBS' प्रणाली पर दर्ज़ होना चाहिए और स्विफ़्ट द्वारा लेनदेन इतने वर्षों से उस प्रणाली पर न आना बड़ी चूक है। स्विफ़्ट के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन बहुत बड़े पैमाने पर होते है और ये लेनदेन प्रायः बड़ी धनराशि के होते हैं। जोखिम की संभावना से बैंक सदैव अतिरिक्त सतर्कता रखतें है। बिना पर्याप्त मार्जिन के LOU को बैंक अधिकारी स्विफ़्ट के माध्यम से लगातार 6 वर्षो से भेजते रहे और किसी को भनक न लगी हो, ये अविश्वसनीय लगता है और बिना मिलीभगत के शायद संभव ही न हो।
 
2: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की चूक
टेक्नोलॉजी के इस युग मे इस बात पर हैरानी है कि स्विफ़्ट द्वारा लेनदेन को इतने वर्षों तक कोर बैंकिंग/CBS का हिस्सा क्यों नहीं बनाया गया, जबकि ज़्यादातर निजी बैंक सारे कारोबार (स्विफ़्ट द्वारा लेनदेन भी) टेक्नोलॉजी के द्वारा करते है और सारे लेनदेन रियल टाइम रिपोर्ट होते हैं। इसके अलावा RBI के बहुत से एक्सपर्ट्स या इंस्पेक्शन टीम ने समय-समय पर इस बैंक के लेनदेन और कार्यप्रणाली की गहन जांच की होगी, जो 6 वर्षों में कई बार हुआ होगा। उन्हें भी इतने बड़े घोटाले की भनक नहीं लगी।
 
3: ऑडिटर्स की चूक
बैंक का कारोबार की RBI की निगरानी के अलावा 5 प्रकार के ऑडिट से निगरानी की जाती है। 1- बैंक का क्रेडिट ऑडिट, 2- बैंक का आंतरिक ऑडिट, 3- कॉनकरंट ऑडिट,  4- स्टॉक ऑडिट और 5- एक्सटर्नल स्टेचुअरी ऑडिट। लगातार 6 वर्षों में कोई भी ऑडिट इस घोटाले को पकड़ने में चूक गया।
 
4: जिन बैंको ने PNB के LOU के आधार पर कर्ज़ दिया, उनसे चूक
पिछले 6 वर्षों से लगातर अनियमित लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के आधार पर कर्ज़ देने में शामिल अन्य बैंक जैसे कि स्टेट बैंक, यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक ने लेनदेन की सही से जांच नहीं की। इन बैंकों ने LOU पर बड़ी राशि हाने के साथ ज्यादा समय के लिए पैसे जारी किए थे और यह एक ही समूह की कंपनियों या शेल कंपनियों के लिए था। बैंकों ने उसका सत्यापन या दोहरा चेकअप नहीँ किया जबकि इनकी मियाद बढ़ाने की भी बात सामने आई है। एक भारी चूक प्रतीत होती है।
 
5: जांच तंत्रो द्वारा चूक 
पिछ्ले कुछ वर्षों से नीरव मोदी व मेहुल चोकसी से जुड़ीं कंपनियों में सन्देहास्पद लेनदेन का एलर्ट जारी होने के बाद भी मामले पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट की रिपोर्टस को नजरअंदाज किया गया, आयकर विभाग ने कोई ठोस कार्यवाही नही की। यहां भी एक भारी चूक लगती है।

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