नई दिल्ली: नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के समूहों ने वर्ष 2008 से अवैध रूप से जारी लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयूज) और फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट (एफएलसीज) के माध्यम से बैंक के साथ धोखाधड़ी शुरू की थी, जिसका भंडाफोड़ इस साल जनवरी में हुआ। सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। इन अवैध गतिविधियों से पंजाब नेशनल बैंक में 11,300 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया, लेकिन बैंक अधिकारियों का दावा है कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
पीएनबी की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस शाखा का 2009 के अगस्त से 2011 के मई तक प्रमुख रहे राजेश जिंदल, इसी शाखा से 2017 की मई में सेवानिवृत्त हुए उपप्रबंधक गोकुल नाथ शेट्टी, विदेशी मुद्रा विभाग के प्रभारी तथा मुख्य प्रबंधक बेचू बी.तिवारी, विदेशी मुद्रा विभाग के श्रेणी 2 स्तर के प्रबंधक यशवंत जोशी और विदेशी मुद्रा विभाग के निर्यात विभाग का श्रेणी 1 स्तर के अधिकारी प्रफुल्ल सावंत ने सीबीआई की पूछताछ के दौरान यह खुलासा किया है।
अधिकारियों ने कहा कि घोटाले का यह सिलसिला 2008 से ही जारी था, जिसे उन्होंने भी प्रश्रय दिया। अभी यह साफ नहीं है कि जब यह घोटाला शुरू हुआ था, तो उस वक्त बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग का प्रमुख कौन था। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कहा नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी के समूह की कंपनियों द्वारा किया गया यह घोटाला जिंदल के कार्यकाल के दौरान भी जारी रहा।
पीएनबी के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में कर्ज विभाग के महाप्रबंधक का पद संभाल रहे जिंदल उस वक्त बैंक की दूसरी सबसे बड़ी शाखा के प्रमुख थे, जब पीएनबी में स्वीकृत सीमा से ज्यादा का एलओयू जारी किया जा रहा था। जिंदल से मुंबई में दिनभर पूछताछ करने के बाद उसे मंगलवार रात को गिरफ्तार किया गया। वह इस मामले में अब तक का 12वां आरोपी है। सीबीआई के जांचकर्ता ने बुधवार को विशेष सीबीआई अदालत से उसे 5 मार्च तक हिरासत में रखने की अनुमति लेने में सफल रहे।
तिवारी, जोशी और सावंत को भी सोमवार को ही इस घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया और उन्हें 3 मार्च तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि अब तक गिरफ्तार पीएनबी के सभी पांच अधिकारी घोटले के वक्त में बैंक के ब्रैडी हाउस शाखा के विदेश विभाग में काम कर रहे थे और नीरव मोदी और चोकसी की कंपनियों को निजी फायदे के लिए घोटाले में मदद कर रहे थे।
सीबीआई ने इस मामले में पहला एफआईआर डायमंड आर यूज, सोलर एक्सपर्ट्स और स्टीलर डायमंड के खिलाफ दायर किया, जिसके भागीदारों में नीरव मोदी, उसका भाई निशाल और मामा मेहुल चोकसी तथा पत्नी एमी शामिल थे। ये सभी आरोपी जनवरी की शुरुआत में ही देश से फरार हो गए थे।
दूसरा एफआईआर 4,886.71 करोड़ रुपये के घोटाले के लिए चोकसी की कंपनी गीतांजलि समूह के खिलाफ 15 फरवरी को दाखिल किया गया। सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि अतिरिक्त रकम (करीब 6,400 करोड़ रुपये) का वर्णन पहली एफआईआर में जोड़ा जाएगा। दूसरी एफआईआर में चोकसी के स्वामित्व वाली गीतांजलि समूह के कंपनियों - गीतांजलि जेम्स लि., गिली इंडिया लि. और नक्षत्र ब्रांड्स लि. के 11 निदेशकों का भी नाम है।
पीएनबी घोटाले का भंडाफोड़ 16 जनवरी को हुआ था, जब नीरव मोदी की कंपनियों के अधिकारियों ने बिना किसी जमानत के क्रेडिट के लिए बैंक से संपर्क किया था और कहा कि उन्हें सालों से ऐसी सुविधा मिल रही है। बैंक ने उन अधिकारियों से कहा कि जिन्होंने पहले एलओयू और एफएलसी के माध्यम से इस तरह की अवैध सुविधा की अनुमति दी है, वे अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, और बैंक अधिकारियों द्वारा की गई जांच में पूरे घोटाले का खुलासा हुआ।