मुंबई: PNB धोखाधड़ी मामले में मुंबई की एक अदालत ने गिरफ्तार 3 आरोपियों को शनिवार को 3 मार्च तक के लिए CBI हिरासत में भेज दिया। CBI ने इस संबंध में बैंक के एक रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी, सिंगल विंडो ऑपरेटर मनोज खरात, और नीरव मोदी की कंपनियों के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हेमंत भट को गिरफ्तार किया था। विशेष CBI जज एस. आर. तंबोली ने आरोपियों को हिरासत में भेजते हुए कहा कि घोटाले का ‘देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव होगा।’
CBI ने अपनी प्राथमिकी में PNB के रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर और संचालक समेत तीन निजी कंपनियों के 10 निदेशकों कृष्णन संगमेश्वरन, नाजुरा यशजनय, गोपाल दास भाटिया, अनियथ शिवरमन, धनेश व्रजलाल सेठ, ज्योति भारत वोरा, अनिल उमेश हल्दीपुर, चंद्रकांत कानू करकरे, पंखुड़ी अभिजीत वारंगे और मिहिर भास्कर जोशी के नाम शामिल किए थे। इस मामले के प्रकाश में आने से पहले ही हीरा कारोबारी नीरव मोदी और अन्य आरोपी जनवरी की शुरुआत में ही देश छोड़ भाग चुके हैं।
CBI के वकील ने आरोपियों के लिए अधिकतम संभव हिरासत मांगी जबकि बचाव पक्ष के वकील ने इसका विरोध किया। आरोपियों के वकील ने दलील दी कि गिरफ्तार किए लोग घोटाले के लाभार्थी नहीं हैं और असल लाभार्थी तो कहीं और हैं। बीते 31 जनवरी को CBI ने अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी, उसकी कंपनियों और उसके मामा मेहुल चोकसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। CBI ने आज कहा कि तीनों आरोपियों को उसी केस के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया।
FIR में करीब 280 करोड़ रुपये के फर्जी लेन-देन के 8 मामले दर्ज हैं। लेकिन बैंक से मिली और शिकायतों के आधार पर CBI अब कह रही है कि पहली FIR में करीब 6,498 करोड़ रुपये की रकम की जांच की जा रही है। यह रकम शेट्टी और खराट द्वारा कथित तौर पर फर्जी तरीके से 150 शपथ पत्र (LOU) जारी करने से जुड़ी है।