नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री आवास पर चक्रवात अम्फान को लेकर एक आपातकालीन बैठक हुई। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, गृह मंत्रालय के तमाम अधिकारी और एनडीएमए व एनडीआरएफ के अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में चक्रवात संबंधी तैयारियों और उससे पड़ने वाले प्रभाव के आकलन पर विचार किया गया और राहत व बचाव कार्य के लिए समर्ग रणनीति बनाई गई।
चक्रवात अम्फान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की तरफ से की गई तैयारी, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान प्रधानमंत्री को बताया गया कि चक्रवात अम्फान के लिए एनडीआरएफ की 25 टीम तैनात हैं और 12 अन्य टीमों को तैयार रखा गया है।
एनडीआरएफ की 24 अन्य टीमों को देश के विभिन्न हिस्सों में भी स्टैंडबाई मोड पर रखा गया है। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार पीके सिन्हा, कैबिनेट सचिव राजीव गाबा और भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
शाम तक विकराल रूप लेने की चेतावनी
चक्रवाती तूफान अम्फान सोमवार शाम तक विकराल रूप ले लेगा और इसके चलते ओडिशा के तटीय इलाकों और पश्चिम बंगाल की गंगा नदी के पास के इलाकों में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हो सकती है। केरल के 13 जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है।
होगी भारी बारिश
मौसम विभाग ने कहा कि चक्रवात से तटीय ओडिशा और पश्चिम बंगाल में गंगा से लगने वाले क्षेत्र में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होगी। ओडिशा सरकार जहां संवेदनशील इलाकों में रह रहे 11 लाख लोगों को निकालने की तैयारी कर रहा है, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने तटीय जिलों के लिए अलर्ट जारी किया और राहत टीमें भेजी हैं। मौसम विभाग ने पश्चिम बंगाल के लिए ऑरेंज चेतावनी जारी की है और कहा कि अम्फान 20 मई को दोपहर या शाम के दौरान अत्यंत प्रचंड तूफान के रूप में बांग्लादेश में हटिया द्वीप और पश्चिम बंगाल के दीघा के बीच पश्चिम बंगाल एवं बांग्लादेश तट के बीच से गुजरेगा। इस दौरान 155-165 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी जो कभी भी 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती हैं।
होगा बहुत ज्यादा नुकसान
मौसम विभाग ने कहा कि अत्यधिक तेज हवाओं से कच्चे घरों को बहुत ज्यादा नुकसान और पक्के घरों को कुछ हद तक नुकसान पहुंच सकता है। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि तेज हवाओं के कारण बिजली एवं संचार के खंभे मुड़ या उखड़ सकते हैं, रेलवे सेवाओं को कुछ हद तक बाधित कर सकते हैं और ऊपर से गुजरने वाले बिजली के तार एवं सिग्नल प्रणालियां प्रभावित हो सकती हैं तथा तैयार फसलों, खेतों-बगीचों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है।
चक्रवात अम्फान से एक साल पहले पिछले साल तीन मई को ओडिशा में तूफान फणी ने कहर बरपाया था और 64 लोगों की जान लेने के साथ ही बिजली,दूरसंचार, पानी एवं अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की अवसंरचना को तबाह कर दिया था।