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संसद भवन भूमि पूजन पर पीएम मोदी ने गुरु नानकदेव की सीख का किया जिक्र

उन्होंने कहा कि आज जब नए संसद भवन का निर्माण शुरू हो रहा है तो हमें याद रखना है कि जो लोकतंत्र संसद भवन के अस्तित्व का आधार है, उसके प्रति आशावाद को जगाए रखना हम सभी का दायित्व है। 

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 10, 2020 15:01 IST
pm narendra modi remembers guru nanak dev on new parliament bhumi pujan । संसद भवन भूमि पूजन पर पीएम- India TV Hindi
Image Source : ANI संसद भवन भूमि पूजन पर पीएम मोदी ने गुरु नानकदेव की सीख का किया जिक्र

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भूमि पूजन करने के साथ ही नये संसद भवन की आधारशिला रखी। चार मंजिला नये संसद भवन का निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है।  भूमि पूजन के बाद संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। पुराने संसद भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, नए भवन में 21 वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी। 

इस दौरान गुरु नानकदेव जी को याद करते हुए उन्होंने कहा, "गुरु नानकदेव ने कहा है कि जबतक संसार रहे तबतक संवाद चलते रहना चाहिए। कुछ कहना और कुछ सुनना, यही तो संवाद का प्राण है। यही लोकतंत्र की आत्मा है, पॉलिसी में अंतर हो सकता है, राजनीति में भिन्नता हो सकती है, लेकिन हम पब्लिक की सेवा के लिए हैं और इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। वाद संवाद संसद के भीतर हो या बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि आज जब नए संसद भवन का निर्माण शुरू हो रहा है तो हमें याद रखना है कि जो लोकतंत्र संसद भवन के अस्तित्व का आधार है, उसके प्रति आशावाद को जगाए रखना हम सभी का दायित्व है। हमे हमेशा याद रखना है कि संसद पहुंचा हर प्रतिनिधि जवाबदेह है और यह जवाबदेही जनता के प्रति तो है साथ में संविधान के प्रति भी है। हमारा हर फैसला राष्ट्र प्रथम की भावना होना चाहिए और हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए। राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धी के लिए हम एक स्वर में एक आवाज में खड़े हो यह बहुत जरूरी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे यहां जब मंदिर के भवन का निर्माण होता है तो शुरू में उसका आधार सिर्फ ईंट और पत्थर ही होता है, कारीगर शिल्पकार सबी के परीश्रम से निर्माण पूरा होता है। लेकिन भवन एक मंदिर तब बनता है जब उसमें प्राण प्रतीष्ठा होती है, तबतक वह एक इमारत ही रहता है। नया संसद भवन भी बनकर तैयार हो जाएगा लेकिन तबतक इमारत ही रहेगा जबतक उसकी प्राण प्रतीष्ठा नहीं होगी। लेकिन यह प्राण प्रतीष्ठा किसी एक मूर्ति की नहीं होगी, लोकतंत्र के इस मंदिर में इसका कोई विधी विधान भी नहीं है, इस मंदिर की प्राण प्रतीष्ठा चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधी करेंगे। 

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत की सदी हो, यह देश के महापुरुषों और महानारियों का स्वप्न रहा है। 21वीं सदी भारत की सदी तब बनेगी जब एक एक नागरिक अपने भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए अपना योगदान देगा। बदलते हुए विश्व में भारत के लिए अवसर बढ़ रहे हैं, कभी कभी तो लगता है जैसे अवसर की बाढ़ आ रही है और इस अवसर का हमें किसी भी हालत में हाथ से नहीं निकलने देना है। पिछली शताब्दी के अनुभवों ने हमें बहुत कुछ सिखाया है, उन अनुभवों से सीखें और वह सीख हमें बार बार याद दिला रही है कि अब समय नहीं गंवाना है बल्कि उसे साधना है। 

पीएम मोदी ने इस दौरान स्वामी विवाकानंद का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि 1897 में स्वामी विवेकानंद ने देश की जनता के सामने कहा था कि अगले 50 सालों तक भारत माता की आराधना ही सर्वोपरी हो, हमने देखा उस महापुरुष की वाणी की ताकत, 1947 में भारत को आजादी मिल गई थी, आज जब संसद के नए भवन का शिलान्यास हो रहा है तो देश को एक नए संकल्प का भी शिलान्यास करना है, स्वामी विवेकानंद जी ने उनके उस आहवान को हम सबको संकल्प लेना है इंडिया फर्स्ट का, सिर्फ और सिर्फ भारत की उन्नती को अपनी अराधना बना लें, हमारा हर फैसला देश की ताकत बढ़ाए, देश का हित सर्वोपरी हो, हमारा हर निर्णय वर्तमान और भावी पीढ़ी के हित में हो।

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने तो 50 वर्ष की बात की थी, हमारे सामने 25-26 साल बाद आने वाली भारत की आजादी की 100वीं वर्षगांठ है, जब देश 2047 में स्वतंत्रता के 100वें वर्ष में प्रवेश करेगा तो देश कैसा हो, अगले 25-26 वर्ष हमें खप जाना है। इसके लिए आज संकल्प लेकर काम शुरू करना है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब हम आज संकल्प लेकर देशहित को सर्वोपरि रखते हुए काम करेंगे तो देश का वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य भी बेहतर बनाएंगे। आत्मनिर्भर भारत का निर्माण अब रुकने वाला नहीं है और कोई रोक भी नहीं सकता। हम भारत के लोग यह प्रण करें कि हमारे लिए देशहित से बड़ा और कोई हित कभी नहीं होगा, हम भारत के लोग यह प्रण करें कि हमारे लिए देश की चिंता अपनी खुद की चिंता से बढ़कर होगी। भारत के लोग प्रण करें कि हमारे लिए देश की एकता अखंडता से बढ़कर कुछ नहीं होगा। 

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