Tuesday, November 05, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. 'हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में पश्चिमी संस्थान नहीं है, यह एक मानव संस्थान है'

'हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में पश्चिमी संस्थान नहीं है, यह एक मानव संस्थान है'

उन्होंने कहा कि दुनिया कोई शब्द हमको पकड़ा देती है हम उसको पकड़ लेते हैं, दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी सुनने में अच्छा लगता है लेकिन हमने अपनी युवा पीढ़ी को सिखाया नहीं कि भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है, यह लोकतंत्र की जननी है, यह बात हमें हमारी आने वाली पीढ़ियों को सिखानी होगी और गर्व से इस बात को बोलना होगा क्योंकि पूर्वजों ने यह विरासत दी है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 08, 2021 14:57 IST

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए कहा, "यहां लोकतंत्र को लेकर बहुत उपदेश दिए गए और बहुत कुछ कहा गया। मैं नहीं मानता कि जो बातें बताई गई है कि देश का कोई नागरिक उसपर भरोसा करेगा। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं कि जिसकी खाल हम इस प्रकार से उधेड़ सकते हैं। ऐसी गलती हम न करें। मैं श्रीमान डेरेक जी की बात सुन रहा था, बढ़िया-बढ़िया शब्दों का प्रयोग हो रहा था, फ्रीडम ऑफ स्पीच, इंटिमिडिटेशन, जो शब्द शुन रहा था तो लग रहा था कि यह बंगाल की बात बता रहे हैं कि देश की बात बता रहे हैं। स्वाभाविक है 24 घंटे वही देखते हैं और सुनते हैं और वही बात यहां बता दी गई हो।"

पढ़ें- दुनिया को विश्वास बहुत सारी समस्याओं का समाधान भारत से ही होगा- पीएम नरेंद्र मोदी

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के हमारे बाजवा साहब बता रहे थे कि और लंबा बता रहे थे, मुझे लग रहा था कि थोड़ी देर में 84 तक पहुंच जाएंगे, खैर कांग्रेस बहुत बार निराश कर चुकी है और आपने भी निराश कर दिया। 

पढ़ें- Chamoli: बड़ी टनल को 70 मीटर तक खोला गया, फंसे हुए हैं 30 लोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में पश्चिमी संस्थान नहीं है, यह एक मानव संस्थान है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानो के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन मिलता है, आज देशवासियों को भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है और न स्वार्थी है और न ही आक्रामक है। यह सत्यम शिवम सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है।  यह कोटेशन आजाद हिंद फौज की प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाषचंद्र बोस की है। संयोग से 125वीं जयंती मना रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि जाने अनजाने में हमने नेताजी की इस भावना को नेता जी के इन विचारों को नेता जी के आदर्शों को भुला दिया, इसका परिणाम है कि आज हम ही हमको कोसने लग गए हैं।

पढ़ें- Uttrakhand Glacier Burst: पहले प्रोजेक्ट से 32 और दूसरे प्रोजेक्ट से 121 लोग लापता- DGP

उन्होंने कहा कि दुनिया कोई शब्द हमको पकड़ा देती है हम उसको पकड़ लेते हैं, दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी सुनने में अच्छा लगता है लेकिन हमने अपनी युवा पीढ़ी को सिखाया नहीं कि भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है, यह लोकतंत्र की जननी है, यह बात हमें हमारी आने वाली पीढ़ियों को सिखानी होगी और गर्व से इस बात को बोलना होगा क्योंकि पूर्वजों ने यह विरासत दी है। शासन व्यवस्था डेमोक्रेटिक है, सांस्कृति, संस्कार, मन सब लोकतांत्रिक है इसलिए हमारी व्यवस्था लोकतांत्रिक है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement