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नई शिक्षा नीति को लाखों सुझावों के बाद मंजूरी मिली, बनेगी 21वीं सदी के नए भारत की बुनियाद: पीएम मोदी

34 साल बाद बदलाव में लाई गई शिक्षा नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भविष्य की शिक्षा, रिसर्च जैसे मामलों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लाखों सुझावों के बाद मंजूरी मिली है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 07, 2020 12:02 IST
PM Narendra Modi to deliver inaugural address at conclave on new National Education Policy on Friday- India TV Hindi
Image Source : PTI PM Narendra Modi to deliver inaugural address at conclave on new National Education Policy on Friday

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से आयोजित कॉन्क्लेव में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति पर अपनी बात रखी। 34 साल बाद बदलाव में लाई गई शिक्षा नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भविष्य की शिक्षा, रिसर्च जैसे मामलों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लाखों सुझावों के बाद मंजूरी मिली है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का बायस है, या किसी एक ओर झुकी हुई है।

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उन्होंने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी के नए भारत की बुनियाद तैयार करने वाली है। 21 वींसदी के युवाओं को जिस तरह के एजूकेशन की जरूरत है, राष्ट्रीय नीति में सभी बातों पर विशेष फोकस है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत को ताकतवर बनाने के लिए इस एजूकेशन पॉलिसी में खास जोर दिया गया है। उन्होंने कहा, "हर देश अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपनी नेशनल वैल्यूज के साथ जोड़ते हुए, अपने नेशनल गोल्स के अनुसार रिफॉर्म करते हुए चलता है। मकसद ये होता है कि देश का एजुकेशन सिस्टम, अपनी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को फ्यूचर रेडी रखें, फ्यूचर रेडी करें।

उन्होंने आगे कहा, "आज देशभर में इसकी व्यापक चर्चा हो रही है।अलग-अलग क्षेत्र के लोग, अलग-अलग विचारधाराओं के लोग, अपने व्यूज दे रहे हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को रिव्यू कर रहे हैं। ये एक हेल्दी डिबेट है, ये जितनी ज्यादा होगी, उतना ही लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा।" पीएम मोदी ने कहा, "हमारे एजुकेशन सिस्टम में बड़े बदलाव नहीं हुए थे। परिणाम यह हुआ कि हमारे समाज में क्यूरोसिटी और इमेजिनेशन की वैल्यू को प्रमोट करने के बजाय भेड़चाल को ही प्रोत्साहन मिलने लगी। कभी डॉक्टर, कभी वकील, कभी इंजिनियर बनाने की होड़ लगी। इंट्रेस्ट, एबिलिटिटी और डिमांड की मैपिंग के बिना इस होड़ से छात्रों को बाहर निकालना जरूरी था।"

पीएम मोदी ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आज 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों पर सम्मेलन' में उद्घाटन भाषण दिया। देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद पहली बार पीएम मोदी इस विषय पर भाषण दिया है। सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत कवर किए गए शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि समग्र, बहु-विषयक एवं भविष्य की शिक्षाएं, गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और शिक्षा में बेहतर पहुंच के लिए प्रौद्योगिकी के समान उपयोग पर विशेष सत्र आयोजित किए गए।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। विश्वविद्यालयों के कुलपति, संस्थानों के निदेशक और कॉलेजों के प्रधानाचार्य एवं अन्य हितधारक इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम को सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम किया गया। केंद्रीय कैबिनेट देश की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे चुकी है। इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था। डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने हेतु गठित समिति द्वारा तैयार किए गए एनईपी 2019 और उस पर प्राप्त हितधारकों की प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों के आधार पर इसे तैयार किया गया है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया जनवरी 2015 में शुरू की गई थी। 33 चिन्हित किए गए विषयों पर बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया में ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक जमीनी स्तर पर परामर्श हासिल किए गए। लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में एक व्यापक, समयबद्ध, भागीदारी वाली परामर्श प्रक्रिया अपनाई गई।"

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