नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दो दिन के भूटान दौरे पर थिम्पू रवाना हो गए हैं। डोकलाम विवाद के दौरान भारत मज़बूती के साथ भूटान के साथ खड़ा हो गया था। उसके बाद पीएम मोदी का ये पहला दौरा है। पीएम मोदी के दौरे से दोनों देशों के रिश्ते और मज़बूत होंगे। पीएम के इस दौरे में दोनों देशों के बीच 10 समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। साथ ही वे पांच परियोजनाओं का उद्घाटन भी करेंगे।
पूरी दुनिया की नजरें प्रधानमंत्री मोदी के भूटान दौरे पर टिकी हुई है। वहीं चीन बेचैन है और पाकिस्तान परेशान है। ये दौरा कितना अहम है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से ठीक पहले अमेरिका के उप विदेश मंत्री जॉन सुविलियन भूटान पहुंचे। यकीन मानिए दुनिया के नक्शे पर छोटा सा मुल्क भूटान में चीन और अमेरिका की कूटनीति भी बढ़ती जा रही है।
थिम्पू रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा, ‘‘भारत और भूटान के बीच बेहतरीन द्विपक्षीय संबंध हैं और हमारी विस्तृत विकास साझीदारी, दोनों देशों के लिए लाभकारी पनबिजली सहयोग और मजबूत व्यापार एवं आर्थिक संबंध इसका उदाहरण हैं। हमारी साझी आध्यात्मिक विरासत और लोगों के बीच मजबूत आपसी संबंध इसे और सुदृढ़ बनाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि मेरी यात्रा भूटान के साथ समय की कसौटी पर खरी उतरी और हमारी मूल्यवान मित्रता, को प्रोत्साहित करेगी और दोनों देशों के लोगों की प्रगति एवं समृद्ध भविष्य को और मजबूत करेगी।’’
दोनों मुल्कों के बीच कैमिस्ट्री का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेहमान मोदी की मेजबानी से पहले भूटान के प्रधानमंत्री लोतेय शेरिंग ने मोदी की तारीफ की। ये तारीफ मोदी की उस किताब के लिए थी जो फरवरी 2018 में मार्केट में आई थी। किताब का नाम है एग्जाम वॉरियर्स। भूटान के प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर पीएम मोदी और उनकी किताब की जमकर तारीफ की है। मोदी ने भी भूटान के प्रधानमंत्री की फेसबुक पोस्ट को अपने ट्विटर एकाउंट पर शेयर की।
दरअसर जिस वक्त पाकिस्तान के कहने पर चीन कश्मीर के मुद्दे को हवा दे रहा है ठीक उस वक्त मोदी का भूटान दौरा बहुत अहम है क्योंकि भारत और भूटान हिमालय से सटे दो ऐसे देश हैं जिनके रिश्ते सदियों से प्रगाढ़ रहे हैं। बीच में ड्रैगन मुल्क चीन ना होता तो दोनों देशों के रिश्तों को देखकर यही कहा जा सकता है कि भारत और भूटान एक दूजे के लिए ही बने हैं लेकिन डोकलाम को लेकर चीन भूटान पर दबदबा बनाता रहा है और उसे भारत के खिलाफ भड़काता रहा है।
चीन-भूटान-भारत ट्राई-जंक्शन के करीब 73 दिनों तक ये विवाद चला था जहां भारत और चीन की सेना लगातार आमने-सामने थीं। डोकलाम भूटान का हिस्सा है, लेकिन चीन उसे अपना इलाका बताता है। इससे पहले मोदी 2.0 की सरकार में विदेश मंत्री का पदभार संभाल रहे एस जयशंकर भी पहले विदेशी दौरे पर भूटान ही गए थे। इस दौरान उन्होंने भूटान के प्रधानमंत्री समेत कई भूटानी नेताओं से मुलाकात की थी। 2017 के डोकलाम विवाद के बाद प्रधानमंत्री मोदी पहली बार भूटान दौरे पर कल जाने वाले हैं ऐसे में इंटरनेशनल प्लेटफार्म पर मोदी की भूटान यात्रा को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि डोकलाम पर चीन के साथ विवादों को देखते हुए मोदी की भूटान यात्रा ड्रैगन के लिए डंक साबित हो सकती है।
भूटान में भारत की राजदूत रुचिरा कुमार के मुताबिक 10 समझौतों पर दस्तखत के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी पांच परियोजनाओं का लोकार्पण भी करेंगे। सार्क देशों में भूटान भारत का सबसे भरोसेमंद देश रहा है। जब 2018 में भारत और भूटान के राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे हुए थे तो भूटान के प्रधानमंत्री भारत आए थे।
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर उनके शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुए थे। पीएम मोदी ने कहा है कि वह भूटान नरेश, भूटान के पूर्व नरेश और भूटान के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर फलदायी बातचीत करने को लेकर उत्साहित हैं। मोदी इस यात्रा में भूटान की प्रतिष्ठित ‘रॉयल यूनिवर्सिटी’ के छात्रों को भी संबोधित करेंगे।