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भारत-जापान की साझेदारी वैश्विक स्थिरता के लिए अब और प्रासंगिक है: मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को कहा कि कोरोना संकट के दौरान भारत तथा जापान के बीच साझेदारी वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए और अधिक प्रासंगिक हो गई है तथा उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने का आह्वान किया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : June 27, 2021 16:42 IST
भारत-जापान की साझेदारी वैश्विक स्थिरता के लिए अब और प्रासंगिक है: मोदी
Image Source : @NARENDRAMODI भारत-जापान की साझेदारी वैश्विक स्थिरता के लिए अब और प्रासंगिक है: मोदी

अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान भारत तथा जापान के बीच साझेदारी वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए और अधिक प्रासंगिक हो गई है तथा उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां अहमदाबाद प्रबंधन संघ (एएमए) के परिसर में स्थापित जापानी जेन उद्यान और कैजान अकादमी का डिजिटल तरीके से उद्घाटन किया। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि अहमदाबाद में जेन उद्यान और कैजान अकादमी के खुलने से दोनों देशों के बीच संबंध और प्रगाढ़ होंगे। 

पीएम मोदी ने कहा, ‘‘जापान के वर्तमान प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा अत्यंत सरल व्यक्ति हैं। मेरा और प्रधानमंत्री सुगा का मानना ​​है कि इस कोविड-19 महामारी संकट के दौरान भारत एवं जापान की मित्रता और हमारी साझेदारी वैश्विक स्थिरता एवं समृद्धि के लिए और भी अधिक प्रासंगिक हो गई है। आज, जब हम कई वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो ऐसे में यह समय की मांग है कि हमारी दोस्ती और रिश्ता दिन-ब-दिन मजबूत हो।” उन्होंने कहा कि कैजान अकादमी की स्थापना जैसे प्रयास इस रिश्ते को सुंदर तरीके से प्रतिबिंबित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों और भविष्य के साझा दृष्टिकोण में भी गहरा विश्वास है। इस आधार पर हम वर्षों से अपनी खास रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी को मजबूत करते रहे हैं। इसके लिए हमने प्रधानमंत्री कार्यालय में ‘जापान प्लस’ (भारत में वृहद जापानी निवेश को बढ़ावा देने वाले अधिकारियों के दल) की खास व्यवस्था भी की है।’’ 

इससे पहले, जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया था कि एएमए स्थित ‘जेन-कैजान’ का मकसद जापानी कला, संस्कृति, प्राकृतिक छटा और वास्तुशिल्प के विभिन्न तत्वों को दर्शाना है। यह एएमए स्थित जापान सूचना एवं अध्ययन केंद्र तथा भारत-जापान मैत्री संघ (आईजेएफए), गुजरात का संयुक्त प्रयास है जिसे जापान की हयोगो इंटरनेशनल एसोसिएशन (एचआईए) का समर्थन प्राप्त है। मोदी ने कहा कि जेन उद्यान और कैजान अकादमी के शुभारंभ का अवसर ‘‘भारत-जापान संबंधों की सहजता और आधुनिकता का प्रतीक’’ है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इससे भारत और जापान के नागरिकों को एक-दूसरे के करीब लाकर दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे। मोदी ने कहा, ‘‘मैं चाहूंगा कि कैजान अकादमी भारत में जापान की कार्य संस्कृति का प्रसार करे और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संपर्क को बढ़ाए। हमें इस दिशा में पहले से चल रहे प्रयासों को भी नई ऊर्जा भी देनी है। मुझे यकीन है कि हमारे प्रयास इसी तरह जारी रहेंगे और भारत एवं जापान मिलकर विकास की नई ऊंचाइयां छुएंगे।’’ 

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि आबे जब गुजरात की यात्रा पर आए थे तो दोनों देशों के बीच संबंधों को नयी गति मिली थी। जब मुंबई-अहमदाबाद की बुलेट ट्रेन परियोजना का काम शुरू हुआ तो वह बहुत उत्साहित थे। मोदी ने कहा कि वह जब भी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे से बात करते हैं, तो आबे अपनी गुजरात यात्रा को जरूर याद करते हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत और जापान बाहरी प्रगति और समृद्धि के लिए समर्पित रहे हैं और साथ ही दोनों देशों ने आंतरिक शांति एवं प्रगति को भी महत्ता दी है। उन्होंने कहा कि जापानी जेन उद्यान ‘‘शांति, इस सादगी की खोज की सुंदर अभिव्यक्ति है।’’ उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने योग और आध्यात्मिकता से सदियों से जो शांति और सादगी सीखी है, वे यहां उसकी झलक देखेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘जापान में जो ‘जेन’ का अर्थ है वही भारत में ‘ध्यान’ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह ध्यान है जो बुद्ध से दुनिया को दिया। और जहां तक ‘कैजान’ की अवधारणा का संबंध है तो यह वर्तमान में हमारे इरादों, निरंतर आगे बढ़ने की हमारी इच्छा की ताकत का जीता जागता सबूत है।’’ 

मोदी ने कहा कि वह चाहेंगे कि कैजान अकादमी भारत में जापान की कार्य-संस्कृति को बढ़ावा दें और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संवाद बढ़ाए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस दिशा में पहले से ही किए जा रहे प्रयासों को नयी ऊर्जा देनी होगी जैसे कि गुजरात विश्वविद्यालय और ओसाका के ओटेमन गाकुइन विश्वविद्यालय के बीच भारत-जापान छात्रों के आदान-प्रदान का कार्यक्रम। यह कार्यक्रम पांच दशकों से अधिक समय से हमारे संबंधों को मजबूत कर रहा है। इसे और बढ़ाया जा सकता है। दोनों देशों तथा संस्थानों के बीच ऐसी साझेदारियां की जा सकती है।’’ 

मोदी ने जापान और गुजरात के बीच संबंधों के बारे में भी बात की और उन्होंने याद किया कि गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने राज्य में कैजान पर खास जोर दिया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वह कैजान से मिले अनुभव को दिल्ली ले गए और पीएमओ तथा केंद्र सरकार के अन्य विभागों में इसकी शुरुआत की। उन्होंने कहा, ‘‘जापान के लोगों का स्नेह, उनके काम करने की शैली, उनके कौशल, उनका अनुशासन हमेशा प्रभावित करता रहा है। इसलिए जब मैं कहता हूं कि मैं गुजरात में लघु-जापान बनाना चाहता हूं तो इसके पीछे का मुख्य भाव यह होता है कि जब भी जापान के लोग गुजरात आएं तो उन्हें वैसा ही अपनापन दिखना चाहिए।’’ 

उन्होंने कहा कि जापान ‘वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन’ के साझेदार देश के तौर पर शुरुआत से जुड़ा और आज भी सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल जापान का है। उन्होंने कहा, ‘‘जापान ने गुजरात में, उसके लोगों की ताकत में जो विश्वास दिखाया है उसे देखकर हमें संतुष्टि होती है।’’ मोदी ने कहा कि गुजरात में ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, निर्माण और दवा समेत विभिन्न क्षेत्रों में 135 से अधिक जापानी कंपनियां काम कर रही हैं। ये कंपनियां गुजरात के युवाओं के कौशल विकास में भी मदद कर रही हैं। 

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