नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें G-20 शिखर सम्मेलन और COP-26 में हिस्सा लेने के लिए 29 अक्टूबर से 2 नवंबर 2021 तक रोम, इटली और ग्लासगो, यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) की यात्रा करेंगे। ये जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी है। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी विश्व के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। वह रोम में इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी के साथ भी द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत करेंगे। वहीं COP-26 से इतर भी पीएम मोदी कई द्विपक्षीय बैठकें करेंगे, जिसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ वार्ता भी शामिल है।
जलवायु परिवर्तन को लेकर हो सकती है चर्चा
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 29 अक्टूबर से 2 नवंबर की यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी जी-20 के 16वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। साथ ही पीएम मोदी जलवायु परिवर्तन पर होने वाले 26वें शिखर सम्मेलन COP-26 में भी वह हिस्सा लेंगे। उल्लेखनीय है कि, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने पर COP-26 में बल दिया जा सकता है। दुनिया भर के पर्यावरणविद और राष्ट्र नेता कह रहे हैं कि अगर जलवायु परिवर्तन के कारकों को अभी से नियंत्रित नहीं किया गया, तो धरती का तापमान तेजी से बढ़ेगा और अपनी धरती खतरे में पड़ जायेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली में 30 अक्टूबर से आरंभ होने वाले दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की ताजा स्थिति का सामना करने, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और कोरोना महामारी को लेकर संयुक्त वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने पर बल दे सकते हैं। जी-20 समूह के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकारी प्रमुखों का यह शिखर सम्मेलन रोम में 30 ओर 31 अक्टूबर को होगा। इसमें सदस्य देशों के नेता व समूह और कुछ अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधि शिरकत करेंगे।
अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर सम्मेलन में प्रमुखता से हो सकती है चर्चा
इस सम्मेलन में प्रतिनिधियों के कोरोना वायरस महामारी की चुनौतियों के बाद सुधार, जलवायु परिवर्तन और विश्व के विभिन्न हिस्सों में गरीबी व असमानता जैसी प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा की उम्मीद है। एक जानकार ने बताया कि अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर इस सम्मेलन में प्रमुखता से चर्चा हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मेलन में विभिन्न वैश्विक चुनौतियों पर भारत का रुख सामने रख सकते हैं और अफगानिस्तान की स्थिति पर एक वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान कर सकते हैं। साथ ही वह जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी के खिलाफ एकजुटता की भी बात कर सकते हैं।