नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आज स्टार्ट-अप देश में ई-टायलेट से लेकर पीपीई किट और दिव्यांगों के लिए सेवाएं देने तक के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और इनमें भविष्य को बदलने की ताकत है। मोदी ने इस अवसर पर स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने के लिये 1,000 करोड़ रुपये के स्टार्ट-अप कोष की शुरुआत किए जाने की भी घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में स्टार्ट-अप को मूल पूंजी उपलब्ध कराने के वास्ते गारंटी देने की भी पहल की जायेगी।
मोदी शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये स्टार्ट-अप इंडिया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने स्टार्ट-अप चैंपियंस कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने भारत में चेन्नई, भोपाल, गाजियाबाद, सोनीपत सहित कई स्थानों के स्टार्ट-अप के कार्यों के बारे में सुना। यही नहीं, इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश, भूटान, म्यामां नेपाल सहित बिम्स्टेक देशों के स्टार्ट-अप की उपलब्धियों को भी सुना।
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मोदी ने कहा स्टार्ट-अप की विभिन्न क्षेत्रों में की गई शुरुआत को देखते हुये यह कहा जा सकता है कि इनमें भविष्य को बदलने की ताकत है। उन्होंने कहा कि देश की स्टार्ट-अप कंपनियों ने कोरोना वायरस महामारी के समय भी अवसरों की तलाश की है। ‘‘स्टार्ट-अप ने एक पटरी पर चलने वाली पुरानी चाल को बदला है और विविधता की शुरुआत की है।’’ मोदी ने कहा कि देश में आज 41,000 से अधिक स्टार्ट-अप अभियान में लगे हैं जिसमें 5,700 से अधिक आईटी क्षेत्र में हैं। 1,700 से अधिक कृषि क्षेत्र में काम कर रहे हैं। पिछले पांच साल में यह स्थिति बनी है। जहां 2014 से पहले देश के केवल चार स्टार्ट-अप ही यूनिकॉर्न क्लब में थे वहीं आज 30 से जयादा स्टार्ट-अप इस क्लब में शामिल हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले अगर कोई युवा स्टार्टअप शुरू करता था तो लोग कहते कि तुम नौकरी क्यों नहीं करते। स्टार्टअप क्यों? लेकिन अब लोग कहते हैं कि नौकरी ठीक है परन्तु स्टार्टअप क्यों नहीं शुरू करते। ये बदलाव बिम्सटेक देशों की बहुत बड़ी ताकत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई से लेकर, वैक्सीन बनाने तक हम सबके जो अनुभव रहे हैं, अपने उन अनुभवों के साथ आज बिम्सटेक देशों के हमारे युवा और उद्यमी इस प्रारंभ समिट में शामिल हो रहे हैं। इसलिए ये समिट और भी महत्वपूर्ण हो जाती है: PM मोदी
उन्होनें कहा कि ये सदी Digital revolution और New age innovation की सदी है। इस सदी को एशिया की सदी भी कहा जाता है। इसलिए ये समय की मांग है कि भविष्य की टेक्नोलॉजी एशिया की लैब से निकलें और भविष्य के entrepreneurs हमारे यहां से तैयार हों।
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