नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ऑनलाइन रूप से G-20 सम्मेलन में हिस्सा लिया, जिसमें अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति, आतंकवाद से जुड़ी चिंताओं और मानवाधिकारों पर चर्चा हुई। बता दें कि बैठक इटली द्वारा बुलाई गई थी, जो वर्तमान में G-20 की अध्यक्षता कर रहा है। बैठक की अध्यक्षता इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी ने की। प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति को लेकर बैठक बुलाने के लिए इटली की पहल का स्वागत किया।
उन्होंने भारत और अफगानिस्तान के बीच सदियों पुराने लोगों से लोगों के संबंधों पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दो दशकों में भारत ने अफगानिस्तान में युवाओं और महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास तथा क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने में योगदान दिया है।
उन्होंने भारत द्वारा अफगानिस्तान में 500 से अधिक विकास परियोजनाओं को लागू करने का भी जिक्र किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगान लोगों के मन में भारत के प्रति मित्रता की भावना है। उन्होंने कहा कि भूख और कुपोषण का सामना कर रहे अफगान लोगों का दर्द हर भारतीय महसूस करता है।
उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आवश्यकता पर जोर दिया कि अफगानिस्तान को तत्काल और निर्बाध मानवीय सहायता मिले। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया कि अफगान क्षेत्र, क्षेत्रीय या वैश्विक स्तर पर कट्टरपंथ और आतंकवाद का स्रोत नहीं बने।
उन्होंने इस क्षेत्र में कट्टरपंथ, आतंकवाद और नशीले पदार्थों तथा हथियारों की तस्करी के गठजोड़ के खिलाफ संयुक्त लड़ाई को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इसके अलावा पिछले 20 वर्षों के सामाजिक-आर्थिक लाभ को संरक्षित करने और कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार को प्रतिबंधित करने के लिए प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में एक समावेशी प्रशासन का आह्वान किया, जिसमें महिलाएं और अल्पसंख्यक शामिल हैं।
उन्होंने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए समर्थन व्यक्त किया और अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में निहित संदेश के लिए जी-20 के नए समर्थन का आह्वान किया।