कच्छ (गुजरात): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना एक दिवसीय कच्छ दौरा पूरा करने से पहले मंगलवार को धोर्डो में आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान जाने माने गुजराती लोक कलाकार ओस्मान मीर और गीता रबारी ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपनी कला की शानदार छंटा बिखेरी। अधिकारियों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने स्थानीय हस्तशिल्प उत्पाद केंद्रों का भी मुआयना किया। रण उत्सव में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए रण के मध्य में इस प्रकार के केंद्र लगाए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि नयी दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कच्छ के रण में चहलकदमी भी की। कच्छ के रण को ‘‘श्वेत रण’’ भी कहा जाता है। रण उत्सव के आयोजन के पीछे गुजरात के इस सीमावर्ती जिले में पर्यटन को बढ़ावा देना प्रमुख उद्देश्य है। इसकी शुरुआत मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में की थी। प्रधानमंत्री ने इससे पहले गुजरात में कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया।
इन परियोजनाओं में दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूबल एनर्जी पार्क भी शामिल है। इसकी स्थापना कच्छ जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास खावड़ा गांव में की जा रही है। प्रधानमंत्री ने जिन विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया उनमें एनर्जी पार्क के अलावा एक डिसलाइनेशन संयंत्र और एक पूर्ण रूप से ऑटोमैटिक दूध प्रसंस्करण तथा पैकिंग प्लांट शामिल हैं। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि आज कच्छ में भी नई ऊर्जा का संचार हो रहा है और तीनों ही परियोजनाएं कच्छ की विकास यात्रा में नए आयाम लिखने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कच्छ में दुनिया का सबसे बड़ा हाईब्रिड रिन्यूएबल पार्क। जितना बड़ा सिंगापुर व बहरीन देश है, उतना बड़ा कच्छ में हाइब्रिड रिन्यूएबल पार्क होने वाला है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक समय कहा जाता था कि कच्छ इतनी दूर है, विकास का नामोनिशान नहीं है। कनेक्टिविटी नहीं है। चुनौती का एक प्रकार से ये दूसरा नाम था। आज स्थिति ऐसी है कि लोग कुछ वक्त कच्छ में काम करने के लिए सिफारिश करते हैं।’’
कच्छ के मांडवी में प्रस्तावित डिसलाइनेशन संयंत्र से खारे पानी को स्वच्छ किया जाएगा तथा इससे तीन सौ गांवों की करीब आठ लाख जनसंख्या के लिए पीने के साफ पानी की व्यवस्था की जा सकेगी। यह संयत्र 10 करोड़ लीटर प्रति दिन की क्षमता (100 एमएलडी) के साथ नर्मदा ग्रिड, सौनी नेटवर्क और अपशिष्ट जल शोधन बुनियादी ढांचे के पूरक के रूप में गुजरात में जल सुरक्षा की स्थिति को मजबूत बनाएगा।