नई दिल्ली: प्रधानमनंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान UN पर ही जमकर बरसे। उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि हमें संयुक्त राष्ट्र के महत्तवपूर्ण अंगों से कबतक बाहर रखा जाएगा। पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये Process कभी logical end तक पहुंच पाएगा। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के decision making structures से अलग रखा जाएगा।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में 6 प्रमुख अंग हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- महासभा (General Assembly), सुरक्षा परिषद (Security Council), आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic and Social Council या ECOSOC), अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice ICJ), न्यास परिषद (Trusteeship Council) और सचिवालय (UN Secretariat)। इन सब में संयुक्त राष्ट्र को प्रमुख माना जाता है जिसका भारत अबतक स्थाई सदस्य नही है।
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण के दौरान कहा कि एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं। जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?
पीएम मोदी ने कहा कि, अगर हम बीते 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं। अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं। ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों से खून की नदियां बहती रहीं।
उन्होनें कहा कि इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गए, वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे। वो लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे? पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली Response कहां है? संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के reforms को लेकर जो Process चल रहा है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।