नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज छह राज्यों में छह स्थानों पर ‘लाइट हाउस’ परियोजनाओं की आधारशिला रखी। वीडियो कांफ्रेस से आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री आशा इंडिया यानी ‘‘अफोर्डेबल सस्टेनेबल हाउसिंग एक्सेलरेटर’’ के विजेताओं की घोषणा करने के साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के क्रियान्वयन के लिए उत्कृष्टता का वार्षिक पुरस्कार भी दिया
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा- सभी देशवासियों को 2021 की शुभकामनाएं, आज नई ऊर्जा और नए संकल्पों के साथ तेज गति से आगे बढ़ने का शुभारंभ हो रहा है। गरीबों, मध्यमवर्ग को घर बनाने के लिए नई टेक्नोलॉजी मिल रही है। ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट देश में हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा देंगे।'
पीएम मोदी ने कहा-' कॉपरेटिव फेडरिल्जम की भावना को मजबूत कर रहा है। ये प्रोजेक्ट देश में कामकाज के तरीकों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। एक समय आवास योजनाएं केंद्र सरकार की प्राथमिकता में उतनी नहीं होती थी जितनी होनी चाहिए। घरों की क्वालिटी पर भी बहुत विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। आज देश ने एक अलग अप्रोच अपनाया है। हमारे यहां कुछ ऐसी चीजें थी जो प्रक्रिया में बिना बदलाव के ऐसे ही चलती आ रही थी लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है। हम जो घर बनाते हैं वो तेजी से क्यों नहीं बनते।'
इस कार्यक्रम के दौरान मोदी नवप्रर्वतक निर्माण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नये पाठ्यक्रम की भी शुरुआत भी की। इस पाठ्यक्रम का नाम ‘‘नवारितिह’’ रखा गया है। इस कार्यक्रम में आवासीय और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अलावा त्रिपुरा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।
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केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2017 को जीएचटीसी-इंडिया के तहत ‘लाइट हाउसद्ध परियोजनाओं के निर्माण के लिए पूरे देश में छह स्थानों का चयन करने के लिए राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए एक चुनौती की शुरूआत की थी।
मंत्रालय ने इस चुनौती में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों को प्रोत्साहित किया था तथा निर्धारित मानदंडों के अनुसार सबसे अधिक अंक अर्जित करने वाले छह राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों को ‘लाइट हाउस’ परियोजनाएं प्रदान करने की घोषणा की थी।
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इन प्रदेशों को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई-शहरी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार इन परियोजनाओं के निर्माण के लिए केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा नयी प्रौद्योगिकी के उपयोग और अर्थव्यवस्थाओं से संबंधित मुद्दों से निपटने और अन्य संबंधित कारकों के कारण होने वाले किसी अतिरिक्त लागत के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रौद्योगिकी नवाचार अनुदान (टीआईजी) का भी प्रावधान किया गया था।